sang tere


संग तेरे 



तेरी  तन्हाईया अब भी ये सवाल करती है
मरता था तू जिस पे वही ये हाल करती है

बड़ी नाजुक थी तेरी मुहब्बत
जो दर्दे - खास  देती है
की तेरी हर एक  याद
जिस्म को सांस देती है

हुआ करते थे, हम भी कभी रांझा
की उसको हीर कहते थे
की बदल सके न जिसको हम
उसे तकदीर कहते थे

जमाना है ये बड़ा कातिल
जो दिलो को तोड़ देता है
जो चल सके न संग इसके
उसे ये छोड़ देता है

हमने देखे थे जो सपने, संग साथ जीने के
टूटे गए वो सपने  तेरे मेरे सीने के

सोचे ये दिल अब  मेरा
मेरी जान जरा सुन ले
बहुत हुआ जीना अब तो,  मौत ही चुन ले

तू धड़कन में  था  यूँ  समाया
जैसे सीप में मोती
अगर संग तेरा जो होता, तो क्या जिंदगी होती

तेरी जुल्फों में  शाम होती
तेरी आँखों में सुबह होती
कभी तू मुझमे खो जाती
कभी मैं तुझमे खो जाता। ...




लेखक की स्टोरी मिरर पर प्रकाशित एक कविता -
https://storymirror.com/read/poem/hindi/axibfjtu/sng-tere


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