प्यार के गीत
दिल का उड़ता पंछी बोले ......... तेरी ही बोली रे
अँखियो से चलती .. .. ... कैसी ये ठिठोली रे
रात ..... के साये में दिन का उजाला है
रंग ये प्रीत का कैसा तूने डाला है
हुई मतवाली मैं ,तेरे ही सुरूर में
रहती हूँ अब तो, तेरे ही गुरुर में
ये कैसा इश्क़ है जिसमे ,लागे जग निराला है
राधा सी बावली मैं श्याम मेरा मतवाला है
दिल का उड़ता पंछी बोले ......... तेरी ही बोली रे
अँखियो से चलती .. .. ... कैसी ये ठिठोली रे
बिन तेरे सूना दिल , अँखियो में पानी है
यादों में मेरी , तेरी ही कहानी है
कुछ तो सुन ले , दिल की आवाज को
फ़िज़ाओं में बहती , मधुरिम साज को
पिया बिन राते कैसी , कैसा दिन का उजाला है
नीला - नीला आसमां भी , दिखे अब काला है
दिल का उड़ता पंछी बोले ......... तेरी ही बोली रे
अँखियो से चलती .. .. ... कैसी ये ठिठोली रे
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