कम्बख्त नींद
कुछ करने की सोचूं तो कम्बख्त नींद आने लगती है
नींद जब आती है, तो वो सताने लगती है
उसको जो भगाता हूँ तो, जाग जाता हूँ
जाग जब जाता हूँ तो, उसे बुलाता हूँ
उसे जब बुलाता हूँ ,तब वो नहीं आती है
वो भी गई नींद भी गई, सोचूं कुछ कर ही लेता हूँ
और कुछ करने की सोचूं तो ........
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