शहजादा और देश
वंशवाद की बेली में
एक फूल खिला है, हवेली में
बेला , गुलाब,गुड़हल और गेंदा
विलक्षण फूल, नहीं इन जैसा
मात करे हर पल रखवाली
हो ना पूत ,कही मवाली
पाणी को ग्रहण करे ना
अधेड़ उम्र का ,बालक सयाना
राजतिलक को चिंतित माता
बुझे , इसको कुछ नहीं आता
जनता के हास्य का साधन
माने खुद को सच्चा बाभन
चाटुकारो की कथा का नायक
राजनीति के यह नहीं लायक
चले जब गुजरात की आंधी
संभल ना पावे नकली गांधी
देशहित में इसे नकारो
स्वदेशी से देश संवारो
भूल हुई गर यदि तुमसे
लूटेगा देश , एक बार फिरसे
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