हिंदुत्व का मतलब समझा दो मुझे hindutw ka matlab samjha do mujhe
आज अगर में हिन्दुत्व की बात करू तो मुझे किसी न किसी पार्टी से जरूर जोड़कर देखा जायेगा चाहे मेरी बात सकारात्मक हो या नकारात्मक . दरअसल आज हर धर्म अपने राजनीतिक रंग मे रंग चुका है ऐसा इसलिये संभव हुआ है क्योकी धर्म ही एक ऐसा माध्यम है जो व्यक्ति की आस्था और अटूट विश्वास से जुड़ा हुआ है जिसके फलस्वरूप वो अपना कीमती वोट भी धर्म के नाम पे अनुचित रुख अख्तियार करनेवाली पार्टीयो को दे सकता है . यही कारण है की राजनीतिक पार्टीयो ने समाज को बरगलाने के लिये सर्वप्रथम धर्म को हथियार बनाया है उसके बाद जाति को . एक और बड़ी चीज जो पहले से विद्यमान थी और जो हमारी रग- रग मे बसती है उस देशभक्ति और भारत मां का भी कापीराइट करा लिया गया है , यानी की अब धर्म से लेकर देशभक्ति तक सब मे राजनीति समाहित हो चुकी है .
इन सब के साथ साथ रंग भी राजनीति की चासनी मे डूब चुके है और अलग - अलग पार्टीयो ने इसपर भी अधिकार जमा लिया है .
आप सोच रहे होंगे की हिन्दुत्व की बात करने से पहले इतनी भूमिका क्यो ? तो बात सॉफ है की हम भी पाक सॉफ है और साथ मे एक सच्चे हिन्दू भी जो की मानवतावादी है , जिसका धर्म उसे उन्माद फैलाने को नही कहता जिसके धर्म ने भारत माता का कापीराइट नही कराया है और इस देश पे उतना ही सबका हक है जितना की मेरा . देशभक्त होने के लिये मुझे अब इन राजनीतिक पार्टीयो के प्रमाणपत्र की जरूरत नही जिनका खुद का कोई ईमान नही होता जो अपनी भारत माँ का इस्तेमाल सिर्फ और सिर्फ अपने राजनीतिक हित के लिये करते है बल्कि इनसे बड़ा देश द्रोही तो कोई और नही हो सकता जो अपनी माँ का सौदा करते है जो उस मां का दामन उसके ही सपूतो को आपस मे लड़वा कर खून से लाल करते हो .
हिदुत्व हमे ये शिक्षा नही देता की हम उसमे राजनीति का मिश्रण करे , जिस हिन्दू धर्म के संस्कार का हम पालन करते है , हम उसकी विशेषताओ और सम्पूर्ण समाज के कल्याण की भावना से प्रेरित होकर कहते है की हमे ऐसे धर्म पे गर्व है जो की हमे शिक्षा देता है की संसार के कल्याण हेतु यदि प्राणो का न्योछावर भी करना पड़े तो हम हर्ष के साथ उसका त्याग करदे जैसे की महर्षि दधीचि ने किया था . नाकी धर्म के नाम पर अपने ही भाई - बन्धुओ से बैर रखे . हिन्दू धर्म मे ही वसुधैव - कुटुम्बकम की अवधारणा दी गई है और इसी हिन्दू धर्म मे हमे सभी धर्मो का आदर करना भी सिखाया गया है . लेकिन अब हम अपने धार्मिक ग्रंथो को कहा पढ़ते है अब तो हमे जैसा दिखाया जाता है वैसा देखते है और जैसा सिखाया जाता है वैसा सीखते है . अब तो बस हम हिन्दुत्व पे इसलिये गर्व करते है की हम बहुसंख्यक है , हम सरकार बनाते है वास्तविक गर्व का कारण तो हमे पता ही नही है नही तो कई लोग हिन्दू कहलाने के लायक भी नही है .
इन्हे भी पढ़े -
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें