नया दौर naya dour
हम भी नए थे कभी इस शहर में फरबरी माह में
वो मिली थी कभी बीच राह में
मुंह का ढक्कन खुल गया था
और आँखों से ऐनक हट गया था
देखा उनको तो दिल की धड़कन बढ़ने लगी
और नजरो से नजरे लड़ने लगी
हमने भी आंव न देखा न ताव
लेके पहुँच गए बड़ा पाव
और बोल दिया उनसे
की इश्क़ हो गया है तुमसे
तोहफा करो कबूल
क्योंकि इश्क़ का ये है पहला उसूल
शर्मा के मुस्कुरा दी वो
और एक ही झटके में पूरा बड़ा पाँव खा गई वो
और फिर लेकर डकार
बोली आई लव यू मेरे यार
फिर क्या था
लेके अपनी फटफटिया
घूमे छपरा से लेकर हटिया
तभी सामने आ गए पप्पा
दिया खिंच के एक लप्पा
जी भर के दिया हमको गाली
नालायक , कमीना,लोफर और मवाली
देखा हमको पीटते
वो भी चुपके से खिसके
हमने कहा यही था साथ तुम्हारा
पल भर में जीने मरने की कसमे खाई थी
और पल में साथ छोड़ गई हमारा
वो बोली कैसी कसमे कैसा प्यार
ये तो है बाते बेकार
ना मैं हीर ना तू रांझा
प्यार नहीं अब किसी का सच्चा
आज तू कल कोई और है
यही नया दौर है
हमने भी बोल दिया उससे
दौर चाहे कोई हो चाहे ये आँखे रोइ हो
आज भी हीर है आज भी है रांझा
बस मैं ही थोड़ी देर से समझा।
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