भक्त उसी के होते है जिसके कार्य महान होते है
एक होते है प्रशंसक उसके बाद अनुयायी और सबसे बड़ा भक्त , भारतीय राजनीति मे शुरुआती दोनो प्रकार के लोग सदैव रहे है परंतु भक्त आजतक कोई राजनेता नही बना सका है . यह पहली बार है जब किसी नेता के अनुयायियो को भक्त कहा जाता है उसपर से अंधभक्त .
कहा जाता है की भक्ति से ही शक्ति है यही कारण है की इन्ही भक्तो की भक्ति से प्राप्त शक्ति के कारण मोदी भारतीय राजनीति का वो चेहरा बन घुके है जिनपर लगने वाले आरोपो से उन्हे लाभ ही होता है . दशको बाद भारत को एक ऐसा नेता मिला जिसकी ईमानदारी पे किसी को कोई शक नही यह बात अलग है की पिछली सरकार अपने द्वारा किये गये भ्रष्टाचार का खामियाजा आजतक भुगत रही है और इस सरकार पर भी बेवजह आरोप लगाने से नही चुकती .
लेकिन वो भूल जाती है की लोगो ने सरकार को भरपूर समर्थन दिया है और राज्यो मे होने वाले चुनाव यह बताते है की लोगो की भक्ति मे किसी तरह की कमी नही आई है . शासन के दौरान सुधार हेतु कुछ ऐसे निर्णय भी लेने पड़ते है जिनसे जनता मे नाराजगी उत्पन्न होती है इसी कारण कई राजनीतिक पार्टिया देश हित को त्याग कर वोट बैंक की राजनीति हेतु ऐसे निर्णय लेने से बचती है . मोजुदा सरकार ने इसकी परवाह ना करते हुए देशहित मे ऐसे अनेक निर्णय लिये जिनका लाभ भविष्य मे मिलना तय है परंतु इन्ही सब को लेकर विपक्ष द्वारा दुष्प्रचार की नीति जारी है .
परंतु वे भी चाहे जितना प्रयास करले भक्तो के आगे सब विफल है . अगर उनमे काबिलियत है तो केवल अपने बिना लाभ वाले अनुयायी ही बनाकर दिखा दे भक्त तो दूर की बात है. फिलहाल विपक्ष भारतीय राजनीति मे खलनायक का वो चेहरा है जो हमे फिल्म नायक मे देखने को मिलता है जिसमे सारे विरोधी मिलकर भी एक नायक का कुछ नही कर पाते क्योंकि ये पब्लिक है ये सब जानती है .इन्हे भी पढ़े - मोदी बनाम विपक्ष
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