महफ़िल ए दिल्ली mahfil a dilli
आज महफ़िल में तूफ़ान मचाते है हम
चलो जरा दिल्ली घूम कर आते है हम
रंग बदली है और बदली है फिजा भी देखो
चारो तरफ धुंध ही धुंध है और हवा भी देखो
रंग बदला है देखो आज उस दिल्ली का
आप के हाथ में आज कमल है देखो
जहां मुमताज महल लाल किले का जिक्र हुआ करता है
पता नहीं उस पर भी कब धब्ब्बा लग जाये देखो
दिल्ली ने तो दिल्ली वालो को ही लूट लिया
जनता भी उसमे पिसती है देखो
जिन्हे वोट देकर जिताया सभी ने
आज उन्ही को अपने बयान पर माफ़ी मांगकर रोते देखो
क्या कहे बड़े लोगों की बातो को
इनसे तो सच्चा गरीब का बच्चा है देखो
जहाँ बड़े लोग लुटाते है देश का धन अपने स्वार्थ में
देश के लिए जो मर - मिटे
उनके अपनों के दुखों को बांटकर तो देखो
महलो में तो सजती रही है महफिले लाखो
कभी गरीबखानो में भी महफिले जमा कर देखो
इन्हे भी पढ़े -
राजनीति पे कविता
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें