मोदी बनाम विपक्ष modi banam wipaksh -
लगभग साठ सालो तक देश की बागडोर संभालने वाली कांग्रेस आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड रही है , कारण 2014 से चलने वाली मोदी लहर .
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यही वजह है की पूरा विपक्ष एकजुट होकर भी मोदी का मुकाबला नही कर सकता क्योंकि विपक्ष की नीयत जनता अच्छी तरह जानती है . भारत जैसे विशाल देश मे लोगो की अपेक्षाये भी विशाल ही होती है और अपेक्षाओ पर निस्चित समय मे खरा उतारना ईश्वर के बस की ही बात है. लेकिन उसकी शुरुआत करना और इस बात का भरोसा लोगो मे होना की देश विकास की ओर अग्रसर है सरकार की किसी उपलब्धि से कम नही है . विश्व मंच पर भारत जिस तरह अपनी उपस्थिति दर्ज कराते जा रहा है उसका श्रेय निश्चित ही मोदी सरकार के खाते मे जायेगा .
नोटबंदी जैसे मुद्दे को विपक्ष ने भुनाने की कोशिश की पर कभी इसका जिक्र नही किया की कैसे जाली नोट और आतंकवाद की कमर तोड़ने मे इसने अहम योगदान निभाया . नोटबंदी से भारत मे एक ऐसी व्यवस्था ने ज्न्म लिया जिसमे करो की चोरी करने वाले लोगो के मन मे दहशत पैदा हुई .
आधार कार्ड का सबसे अधिक विरोध वे लोग ही ज्यादा करते दिखे जिनकी अनेक बेनामी संपत्तियाँ उजागर होते जा रही है आजतक के भारतीय इतिहास मे ऐसा पहली बार हुआ जब किसी सरकार ने राम रहीम जैसे ढोंगी बाबाओ को सालांखो के पीछे पहुचाया जिसकी कल्पना किसी अन्य सरकार मे नही की जा सकती . लालू जैसे चारा चोर को जिस सीबीआइ ने आजतक राहत दे रखी थी वही आज उसके सारे मामलो को अदालत से जल्द फैसला दिलवाने मे लगी हुई है . पाकिस्तान मे मोदी की दहशत इसी से समझी जा सकती है की आज वहा मोदी का विरोध करके पार्टियाँ अपनी राजनीति की दुकान चलाती है .
उसी राजनीति की दुकान को चलाने के लिये आज सारा विपक्ष एकजुट है जो आज मोदी की वजह से बंद हो चुकी है . 2019 को पास आता देख विपक्ष द्वारा सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार का कार्य शुरु हो चुका है . और इसके लिये तमाम तरह की तकनीको का भी भरपूर प्रयोग किया जा रहा है जिसमे हाल मे हुई फेसबूक और कैम्ब्रिज एनालिटिका द्वारा मिलकर फेसबूक उपयोगकर्ताओ की सूचनाओ को चुराकर उनकी सौदेबाजी करना शामिल है .
वर्तमान भारतीय राजनीति मे कोई भी पार्टी मोदी के दूर - दूर तक नही दिखाई देता विपक्ष चाहे जितना जोर लगा ले लेकिन जब तक मोदी स्वेच्छा से राजनीति का त्याग नही करते तब - तक भारतीय प्रधानमंत्री की कुर्सी की शोभा वे ही बढाएंगे .
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