kavi



कवि 



kavi



कवि हूँ , मैं देश दुनिया की छवि हूँ मैं
 हर युग को गाता हूँ मै , हर युग में जाता हूँ मैं
मुहब्बत का पैगाम देता,रवि हूँ मै

मैंने देखे है खून से सने मैदानों को
मैंने देखे है मरते वीर जवानो को
मैंने देखा है बिलखती माँओं को
मैंने देखा है विपदा की घनघोर घटाओ को
कविता में जब इन छणो को पिरोता हूँ
मैंने देखा है रोते श्रोताओ को


त्रेता से लेकर कलियुग तक

और राम के उस सतयुग तक
स्त्री को बिलखते देखा है
उस युग की द्रोपती से लेकर
इस युग की निर्भया तक को तड़पते देखा है

मैंने देखा है राजाओ के अहंकारो को 
और उन्ही राजाओ की जलती चिताओ को 
मैंने देखा है आम्भी और जयचंद जैसे गद्दारो को 
और प्रताप से लेकर भगत सिंह जैसे शूरमाओं को 

अग्नि में समाहित सती को भी देखा है 
और सावित्री जैसी हठी को भी देखा है 
मैंने देखा है झाँसी की मर्दानी को 
और सिंघनी जैसी दुर्गावती रानी को 


हर युग की अपनी एक कहानी है 


कभी गाँधी कभी जयप्रकाश की आंधी है 
तस्वीरें बनती है और बिगड़ती 
सब कवि की कविता में झलकती है 

लिखता वही हूँ जो सही होता है 
हर काल को 
चंद पंक्तियों में 
पिरोने वाला ही कवि होता है। ..... 





इन्हे भी पढ़े - कलियुग 

4 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' २७ अगस्त २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/



    टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।



    आवश्यक सूचना : रचनाएं लिंक करने का उद्देश्य रचनाकार की मौलिकता का हनन करना कदापि नहीं हैं बल्कि उसके ब्लॉग तक साहित्य प्रेमियों को निर्बाध पहुँचाना है ताकि उक्त लेखक और उसकी रचनाधर्मिता से पाठक स्वयं परिचित हो सके, यही हमारा प्रयास है। यह कोई व्यवसायिक कार्य नहीं है बल्कि साहित्य के प्रति हमारा समर्पण है। सादर 'एकलव्य'

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    उत्तर
    1. आपका प्रयास सराहनीय है , उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया

      हटाएं
  2. सचमुच कवि की अपनी दृष्टि और भाव बोध होता है | शब्दों क्र जरिये वह कालखंड का दर्पण सरीखा बन जाता है | बेहतरीन रचना केलिए हार्दिक शुभकामनायें |

    जवाब देंहटाएं

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