सावन
भीगे - भीगे से दिन है
भीगी सी राते
बाहर आने को है कुछ जज्बाते
बरखा है उमंग है
जब तू मेरे संग है
वो पहले सावन का झूला
अबकी बार भी ना मन भूलातुझे याद है वो चुपके से लहलहाते हुए
धान के खेतो को देखना
उन नन्हे पौधो की हरियाली में जिंदगी को ढूंढना
वो मेले में हरी चूड़ियों को खरीदने की ललक
और उस लम्बी टोपी वाले जादूगर की एक झलक
शिवालय में शिव भक्तो की लम्बी कतार
उस पर से नागपंचमी का त्यौहार
हर सावन ऐसेा ही हो मन भावन
हर झूले पर हो तेरा साथ
मुश्किलें चाहे कितनी भी आये
तुम रहना हमेशा साथ
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