मुल्क
वे कहते है की मुल्क उनका है ये कहते है की मुल्क इनका है
चले जाएँ सरहदों पर कहने वाले ये मुल्क जिनका है
कुछ शोर सा उठता है इस अहदे - वतन में
सत्ता के लिए सब कुछ जायज है इस चमन में
कुछ काटेंगे कुछ चाटेंगे ,
कुर्सी के पीछे सारे भागेंगे
मुल्क के लिए कौन करता है कुछ
यहाँ दंगे भी होते है सत्ता के लिए और मत पूछ
मुल्क के लिए हँसते हुए जान दे देते है वो
जिनके लिए मुल्क और माँ एक होती है
चंद अल्फाज ही निकलते है इन हुक्मरानो के मुखड़े से
वो कहते है की वो मुल्क के रखवाले है
मैं कहता हूँ वे देश को लूटने वाले है
कोई देशभक्ति का ओढ़े चोला
उसके अंदर बम का गोला
कोई विदेशी सरकार चलावे
क्या वो देश का हो पावे
कोई बांटे हिन्दू - मुस्लिम
कोई बाँटे माटी - जाति
मैं तो खड़ा मौन मेरे मौला
जबसे सियासत ने ओढ़ा धर्म का चोला
गुलाम हुआ अपनों से ही मुल्क मेरा
अब तो होगी क्रांति
मेरा रंग दे बसंती चोला।
इन्हे भी पढ़े - इंकलाब जरुरी है
चले जाएँ सरहदों पर कहने वाले ये मुल्क जिनका है
मेरे मुल्क से मेरी वफादारी के सबूत मांगते है वो
जिनके महलो में लगने वाले पत्थर भी विलायती हैकुछ शोर सा उठता है इस अहदे - वतन में
सत्ता के लिए सब कुछ जायज है इस चमन में
कुछ काटेंगे कुछ चाटेंगे ,
कुर्सी के पीछे सारे भागेंगे
मुल्क के लिए कौन करता है कुछ
यहाँ दंगे भी होते है सत्ता के लिए और मत पूछ
मुल्क के लिए हँसते हुए जान दे देते है वो
जिनके लिए मुल्क और माँ एक होती है
चंद अल्फाज ही निकलते है इन हुक्मरानो के मुखड़े से
जिसमे शहीद को भारत माँ का वीर सपूत बतलाते है
और अगले ही दिन उस उस बेचारी माँ को भी नहीं पहचान पाते हैवो कहते है की वो मुल्क के रखवाले है
मैं कहता हूँ वे देश को लूटने वाले है
कोई देशभक्ति का ओढ़े चोला
उसके अंदर बम का गोला
कोई विदेशी सरकार चलावे
क्या वो देश का हो पावे
कोई बांटे हिन्दू - मुस्लिम
कोई बाँटे माटी - जाति
मैं तो खड़ा मौन मेरे मौला
जबसे सियासत ने ओढ़ा धर्म का चोला
गुलाम हुआ अपनों से ही मुल्क मेरा
अब तो होगी क्रांति
मेरा रंग दे बसंती चोला।
इन्हे भी पढ़े - इंकलाब जरुरी है
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