tag:blogger.com,1999:blog-769681485785628629.post608321970884868316..comments2023-06-25T12:40:30.741+05:30Comments on WE THE PEOPLE OF INDIA : kaviRohit raihttp://www.blogger.com/profile/14897870500385294675noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-769681485785628629.post-53275910348355006462018-08-28T21:39:22.859+05:302018-08-28T21:39:22.859+05:30आपका प्रयास सराहनीय है , उत्साहवर्धन के लिए शुक्रि...आपका प्रयास सराहनीय है , उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया Rohit raihttps://www.blogger.com/profile/14897870500385294675noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-769681485785628629.post-56140629300076449622018-08-28T21:36:57.693+05:302018-08-28T21:36:57.693+05:30jee shukriyajee shukriyaRohit raihttps://www.blogger.com/profile/14897870500385294675noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-769681485785628629.post-11782219611679049832018-08-27T22:41:19.670+05:302018-08-27T22:41:19.670+05:30सचमुच कवि की अपनी दृष्टि और भाव बोध होता है | शब्द...सचमुच कवि की अपनी दृष्टि और भाव बोध होता है | शब्दों क्र जरिये वह कालखंड का दर्पण सरीखा बन जाता है | बेहतरीन रचना केलिए हार्दिक शुभकामनायें |रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-769681485785628629.post-70252313736058920442018-08-27T19:41:07.456+05:302018-08-27T19:41:07.456+05:30आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ...आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' २७ अगस्त २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/<br /><br /><br /><br /> टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।<br /><br /><br /><br />आवश्यक सूचना : रचनाएं लिंक करने का उद्देश्य रचनाकार की मौलिकता का हनन करना कदापि नहीं हैं बल्कि उसके ब्लॉग तक साहित्य प्रेमियों को निर्बाध पहुँचाना है ताकि उक्त लेखक और उसकी रचनाधर्मिता से पाठक स्वयं परिचित हो सके, यही हमारा प्रयास है। यह कोई व्यवसायिक कार्य नहीं है बल्कि साहित्य के प्रति हमारा समर्पण है। सादर 'एकलव्य''एकलव्य'https://www.blogger.com/profile/13124378139418306081noreply@blogger.com