तेरा इन्तजार
बड़ी हसरत से तुझे देखे जा रहा था
वो बाजार में चूड़ियों को पहनते हुए तेरी खिलखिलाहट भरी हंसी
एक अजीब सी चुलबुली ख़ुशी मेरे दिल ने महसूस की
लगा की बस तू ही तू है इस जहाँ में मेरा सबकुछ
सोचा कदम बढ़ाऊ तो कैसे
मुहब्बत का पंछी उड़ाउँ तो कैसे
चारो और गिद्ध रूपी पहरेदार जो थे
पर साथ में मेरे कुछ वफादार भी थे
पैगाम पहुंचा जब मेरा तुझतक
यकीन तो तेरी नजरो ने ही दिला दिया था
आता संदेशा तेरा जबतक
कभी तो अपने होंठो को हिला दिया होता
अपने लबो से भी कुछ फरमा दिया होता
हम तो तसल्ली कर लिए होते
कम से कम इस दिल को तो थोड़ा फुसला दिया होता
ये इश्क़ का रोग लाइलाज नहीं होता मेरी जान
बस तूने एक बार आवाज तो दिया होता
कुछ वक़्त बदला, कुछ बदले तेरे तेवर
कुछ हमने भी खुद को बदला
ना बदल सके तो इस दिल में तेरे कलेवर
अभी भी इन्तजार तेरा करते है
इश्क़ की गली में लोग ऐतबार मेरा करते हैतू डरती है ज़माने से तो डरा कर
अभी भी तेरे नाम पर पैमाने भरा करते है
बड़ी कातिल थी तेरी निगाहें
कम्बख्त दिल को भी ना छोड़ा
तेरे इन्तजार में निकली दिल से आंहे
दौड़ा न सका अपनी मुहब्बत का घोडाइन्हे भी पढ़े - ये दिल मेरी मुहब्बत
जाने तू या जाने ना इश्क़ ना करना
तेरी मेरी कहानी इश्क़ में
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