ishq na karna


  इश्क़ ना करना 



यार बात ना  कर इश्क़ की अब
आदत पड़  गई है बेवफाई की अब  


यार दिल में अब कुछ होता नहीं 
जरुरत है सफाई की अब 

रुक सुन के जा आलम - ए - बेवफाई 
बात न करेगा फिर इश्क़ - ए - खुदाई की अब 

हम थे एक मुक्त पक्षी गगन में 
उड़ते थे सारे चमन में 

देखा उड़ते हुए उनको 
भूल गए उड़ना आ गए जमीं  पे 
वे हसने लगी ये  देख के 
शायद ध्यान न रही उनको हमारी ऊंचाई की अब 

हम खुश थे उनकी हंसी देखकर 
शायद तेरा वाला इश्क़ हो चला था हमें 
देखते रहे बेधड़क उन्हें 
अपने जख्मो का ख्याल न रहा 

वे आये करीब हमारे मरहम लेकर 
और मर हम गए घायल होकर नजरो के तीर से 
शायद तेरे वाले इश्क़ में जान गँवा बैठे थे हम 


                                                                                     आगे क्या सुनेगा दास्ताँ बेवफाई की 
                                                                                     जा और जाकर इश्क़ कर 


बेवफाई तो अपने आप हो जाएगी 



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