relampel


रेलमपेल 


मेरा अनुरोध है सारे भारतीय राजनेताओं से की वो अपनी यात्रा रेलवे की सामान्य बोगियों मे  करें खास तौर पर माननीय प्रधानमंत्री जी से यदि वी देश से वीआईपी कल्चर खत्म करना चाहते है तो डिब्बो मे आम आदमी की तरह चढकर ही दिखा दे वर्ना तो इनके आने पर आम आदमी को सड़कों के किनारे खड़ा कर दिया जाता है . एक तरफ जहां ओवरलोडिंग मे दोपहिया से लेकर चर पहिया वाहनो का चालान काटा जाता है वही दूसरी तरफ ट्रेनो मे बाहर तक लटकते लोगो को देखकर क्या सरकार रेलवे का चालान काट सकती है , यह इस देश की कैसी नीति है . सामान्य टिकट खिड़कियॉ पर लगी लम्बी लाइन ,आपस मे लड़ते झगड़ते लोग और आम आदमी के समय की बर्बादी वाकई हम निरर्थक होते जा रहे है .


जनरल डिब्बो मे भेड़  बकरी की तरह ठुंसे लोग घंटो विलंब से चलती रेल , शौचालय से आती भीषण दुर्गन्ध यही है भारतीय रेल की पहचान . कहने को तो इस देश मे राजधानी से लेकर शताब्दी तक चलती है परंतु उनमे मजदूर , कामकाजी वर्ग और गरीब जनता तो नही चलती पैसे वालो के लिये तो हवाई जहाज तक है . परंतु आम आदमी के लिये मशक्कत और दुर्व्यवस्था रूपी इस दानव से निजात दिलाने मे कोई भी सरकार सक्षम नही दिखती सिर्फ वादे होते है , दिलासे होते है और मिलती है सिर्फ झूठी उम्मीद के दिलासे .बाकी जिंदगी तो रेलगाड़ी के पहियो की तरह चलती ही रहती है .

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