जिन्ना करेंगे देश का विकास -
भारतीय राजनीति आजकल विकासवादी ना होकर इतिहासवादी होते जा रही है . मुझे नही पता था भारतीय राजनेताओ का इतिहास ज्ञान ही उनके चुने जाने की काबिलियत है . वैसे कभी नेहरू कभी पटेल कभी श्यामा प्रसाद तो कभी गाँधी छाये रहते है . आजकल तो भई जिन्ना जी धूम मचा रहे है , एक इतिहासकर होने के नाते में इस विषय पर लम्बी चर्चा कर सकता हूँ . लेकिन असल मे मुद्दा यह नही है की जिन्ना ने क्या किया मुद्दा तो यह है की हमारे राजनेता क्या कर रहे है क्या जिन्ना पर चर्चा करके हम विलंब से चलने वाली ट्रेनो को नियत समय पर ला सकते है . क्या जिन्ना देश मे बढ़ती बेरोजगारी की प्रमुख वजह है ,आज जिन्ना कुछ नही है, जिन्ना थे और जो था उसके लिये तो में इतना कहना चाहूंगा की जब हम लाखो करोड़ो की संपत्ती छोड़कर जाने वाले अपने परदादा को नही याद करते तो जिन्ना को लेकर इतने ज्यादा चिंतित क्यो नजर आते है .
हो सकता है जिन्ना की वजह से पाकिस्तान जैसे नापाक राष्ट्र का निर्माण हुआ हो पर क्या जिन्ना को याद करके हम इस बात का समर्थन नही करते की उन्होने जो किया वो सही था या गलत . अगर लोगो को इतिहास मे जाने का इतना ही शौक है तो कम से कम शुरुआत तो प्राचीन इतिहास मे हड़प्पा सभ्यता से करते की 5000 साल पहले हमारे पास इतनी विकसित और सुव्यवस्थित सभ्यता थी जितनी आज नही है . आज बस तकनीकीयो मे इजाफा हुआ है पर हम सभ्यता तो भूलते जा रहे है . उसके बाद वैदिक सभ्यता मे आते जहा वसुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा दी गई , जहा स्त्रियो को समान अधिकार दिये गये , जहा स्त्रिया निडर होकर आवगमन करती थी . जहा महान वेदो की रचना हुई . पूरे इतिहास मे घूम फिर के सीखने के लिये नेहरू और जिन्ना ही मिलते है .
जिन्ना के जिन्न को बोतल से निकलने के पीछे इन राजनेताओ की मंशा समाज मे जहर घोलती राजनीति के सिवा कुछ नही है . अगर जिन्ना का जिन्न गड्ढा युक्त सडको को भर सकता है तो बेशक उसे बोतल से निकालिये . अगर जिन्ना का भूत भ्रष्टाचारियो को डरा सकता है तो उसकी पूजा कीजिये . अगर जिन्ना की आत्मा समाज मे फैलती अशान्ति को शांत कर सकती है तो उसके लिये मोमबत्तियाँ जलाईये . हम इस पर चर्चा करके कुछ नही पा सकते सिवा खुराफाती दिमाग के सुकून के की भारत विभाजन के लिये जिम्मेदार कौन था . सदियाँ निकल जायेंगी परंतु हम सबको संतुष्ट नही कर पायेंगे . परंतु अगर हम आज एक अच्छी सरकार चुनकर लाते है तो आने वाली पीढियाँ अपनी जिंदगी सुकून से जी सकती है और हम पर गर्व कर सकती है . हमे जरूरत है अब सवाल करने की जब तक हम सवाल नही करते तब तक हमे ऐसे ही मुफ्त के बेमतलब वाले मुद्दो मे उलझाकर रखा जायेगा , जब हम सवाल करेंगे तब शुरुआत होगी बदलाव की तब मुद्दे होंगे बिजली, पानी , सड़क , स्वास्थ ,शिक्षा , नारी सुरक्षा ऐसे ही अनेक और मुद्दे जिनकी तकलीफ हमे और आपको अपनी छोटी सी जिंदगी मे उठानी पड़ती है ना की हमारे राजनेताओ को .
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