तेरा यूँ जाना
कभी दिल की गहराइयों में उतर के देखो
तेरी ही याद बहती है
तू नहीं है फिर भी
तेरी ही बात रहती है
अकेला हूँ तेरे बिन अब तो,बस यही फ़रियाद रहती है
उसी जन्नत में चला आऊं
जहाँ तूं मेरा इन्तजार करती है
तुझ संग दिए दिवाली के, तुझ संग होली की रंगत
तुझ संग पीड़ा दिल की बाँटू, तुझ संग सुन्दर ये जगत
बिन तेरे सुना दिल का झरोखा ,तेरे बिन सुनी दिल की गलियां
सुना पड़ा है दिल का बागीचा ,खिलने से मना करती है बिन तेरे कलियाँलाख तसल्ली देता हूँ, इस दिल को लेकिन
बिन तेरे इसको अब चैन कहाँ
क्या खुद को तसल्ली दे पाउँगा
हर पल भींगे है नैन यहाँ
है लाख समंदर गहरा तो क्या
बुझा पाता प्यास नहीं
है सारा जग कहने को अपना
बिन तेरे किसी से अब आस नहीं
मैं तो तेरे बिन अधूरा
खुद को जिन्दा कह पाता नहींकोई कितना भी समझाये
तुझ बिन रह पाता नहीं
चल रही है धड़कन न जाने क्यूँ बेवजह
अब तूँ ही बतला तू मिलेगी किस जगह
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