takrar

तकरार 

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तकरार 

अरे रुको
ऐसा न कहो
वो तो बावली थी तेरे प्यार में
समझा करो

मान भी जाओ

पथराई अंखिया ढूंढे तुझे ,सारे जवार में

कुछ तो बोलो

जाने भी दो
ऐसा नहीं करते ,सच्चे प्यार में 
बोल भी दो 
यूँ ना रूठो 

कबसे खड़ी है ,तेरे इन्तजार में 

अच्छा किया 
मान गए 

कुछ नहीं रखा , इस तकरार में 

क्योंकि 
मिलते नहीं अब 
सच्चे  हमसफ़र 
इस झूठे संसार में 


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