कर्नाटक चुनाव
आज की बात कर्नाटक के साथ शुरु करते है जहां सारे राजनीतिक दल अटक से गये है . जनता का विश्वास अगर सबसे ज्यादा चुनावो के बाद अगर किसी पर है तो वो है अमित शाह . हर तरह की राजनीति मे भाजपा के लिये क़िला फतह करके लाने वाले अमित शाह के दिमाग मे कर्नाटक चुनावो के बाद सरकार बनाने के लिये क्या चल रहा है अभी कोई नही जानता लेकिन सब इतना जरूर जानते है की इस खेल का उनसे बड़ा महारथी कोई नही है . फिलहाल एक बात जो स्पष्ट है वो ये है की कर्नाटक चुनाव मे जनता ने किसी एक पार्टी को निस्चित तौर पर बहुमत नही दिया है भले ही अधूरे बहुमत मे कोई पार्टी सबसे ज्यादा सीटे लाई हो .
कहते है की प्यार और जंग मे सब जायज है शायद भाजपा ने अपने लिये ही इस फार्मूले का जन्म माना है . मौजूदा राजनीतिक हालत मे कांग्रेस और जेडीएस के सरकार बनाने के प्रबल आसर है . भाजपा को इसके लिये विपक्षी कुनबे मे तोड़फोड़ की आवश्यकता पड़ेगी इसके लिये विपक्षी खेमा सतर्क है की उसके सिपाही कही ज्यादा वेतन के लालच मे अपनी निष्ठा का त्याग करते हुए भाजपा के साथ ना चले जाये .
खैर देखना दिलचस्प होगा की कर्नाटक मे किसकी सरकार बनती है . क्योंकि गोआ की हार कांग्रेस अभी भूली नही है और इस बार मदर्स डे के अवसर पर कमान भी सोनिया गाँधी ने संभाल ली है .
वैसे भाजपा की प्रत्येक जीत के पीछे राहुल गाँधी का हाथ जरूर है क्योंकि भाजपा का नारा ही यही है आप का हाथ हमारा विकास . आज बहुत सी बातें या बातों का तरीका कई लोगो को नागवार लग सकता है लेकिन यह इतना भी नही जितना चुनावो के दौरान एक दूसरे के लिये प्रयुक्त होनी वाली मधुर भाषा .
वैसे इन दिनो एक कहावत चलन मे ज्यादा ही है , चीते की चाल , बाज की नजर और अमित भई शाह पर शक नही करते .