poem on politics






राजनीति पे कविता poem on politics






जबसे आप मशहूर हुए कई अपने आप से दूर हुए

अब तो आप ही आप है दिल्ली  मे
जिक्र होता है आपका अक्सर लोगो की खिल्ली मे 



काला धन और भ्रष्टाचार अब हो गई इनकी बातें बेकार

सफेद धन है सदाबहार
लेके भागो सात समंदर पार



सेवक अपना छोड़ तिजोरी घूमे देश विदेश

जनता बोले त्राहिमाम चोरो की तो हो गई है ऐश
जनहित के नाम पे जन - जन को देखो रोना आया है
अच्छे दिनो की आस मे तूने बहुत छकाया  है.



पकौड़ा तो छनवा चुका  ,बी ए - एम ए पास को

अब क्या मुंह दिखलाउंगा ,घर पे जाके अपनी सास को



पप्पू पास नही होता राजनीति के इम्तिहान मे

इसके सिवा कोई और नही मिलता इनको सारे जहाँ  मे
खूब लूटा इनकी मम्मी ने अपने देश को
मन करता है भेज दे इनको अब तो परदेश को



विकास मिले तुम लोगो को तो कही से ढूंढ लाना

बची हो इंसानियत तुममे तो उसे
भारत मा का पता बताना



लहूलुहान ना करना इस भारत मां  को

उसके ही बच्चो के खून से
ताज रखो तुम्ही
हमे रहने दो बस सुकून से ........







raijee
लेखक 
















3 टिप्‍पणियां:

  1. Kya sir blogger par account banane ke liye domain name lena zaroori hai kya hum free me account banake rupe kama sakte hai

    जवाब देंहटाएं
  2. Kya sir account banane ke liye domain name lena zaroori hai kya hum free me account banake rupe kama sakte hai

    जवाब देंहटाएं
  3. jee bilkul aap blogger ya wordpress pe acount bana sakte hai. jab aapki income aane lage tab domain se isko attech bhi kar sakte hai.

    जवाब देंहटाएं

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