भारतीय बजट पूर्व समीक्षा
वर्तमान समय में आज के दिन हमारे वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा भारतीय बजट पेश किया जा रहा है।
बजट पेश करने से पहले ही केंद्र में स्थापित बीजेपी सरकार द्वारा बजट में आम जनता को विशेष राहत ना देने की बात कही गई है सरकार द्वारा पहले ही रोना इस बात का संकेत है की बजट में आम जनता को विशेष राहत नहीं मिलने वाली है। वित्तीय घाटे का बढ़ना और 2019 में होने वाले चुनावों के मद्देनजर एक संतुलित बजट की उम्मीद की जा सकती है।
![]() |
बेरोजगारों की भीड़ |
सवाल होगा देश में बढ़ती बेरोजगारी का जो की सरकार ने हर साल दो करोड़ नौकरियों का वादा किया था लेकिन दो लाख नौकरिया भी नहीं दे पाई जिस कारण देश में दिन प्रतिदिन बेरोजगारों की फौज खड़ी होते जा रही है। मौजूदा समय में भारत में 1.86 करोड़ लोग बेरोजगार है तथा 2018 में भारत में बेरोजगारी की दर 3.5 प्रतिशत है। जो की चिंताजनक है।
![]() |
बारिश की आस लगाए किसान |
सवाल होगा कृषि छेत्र का जहा सरकार ने किसानो को आय दुगनी करने का वादा किया था पर किसान आत्महत्या करने को मजबूर है आंकड़े बताते है की भारत में हर साल 10000 किसान आत्महत्या करते है। बढ़ती लगत दर और ग्रामीण अंचल में फैली साहुकारी इनकी आत्महत्या की प्रमुख वजह है। क्या सरकार जमीनी स्तर पर बजट में इसके लिए कोई प्रावधान कर सकती है।
![]() |
मध्यम वर्ग |
सवाल होगा उस मध्यम वर्ग का जो की दिन प्रतिदिन महंगाई की मार से तनाव में जी रही है लेकिन फिर भी सरकार के प्रति उसकी श्रद्धा नोटबंदी से लेकर जी एस टी तक बरक़रार रही है। कर में छूट की सीमा जो की वर्तमान में 2.5 लाख है में सरकार बढ़ोत्तरी करती है या नहीं। पेट्रोल और डीजल के दामों को जी एस टी से बाहर रखना सरकार की मंशा पे सवाल खड़ा करता है।
फिलहाल आज पेश होने वाले बजट से हम बस उम्मीद कर सकते है की सरकार कारपोरेट के अलावा देश के निचले और मध्यम तबके के लोगो की दुश्वारियां कम करे जो की उसका काम है न की देश हित के नाम पे जनता को भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल करते हुए नए करो का बोझ थोपे।
बजट के बाद हम फिर बजट की अनेक बारीकियों पे चर्चा करेंगे।
इन्हे भी पढ़े - पकौड़े से अमेरिका के राष्ट्रपति तक
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें