Adhyatmikta - jeewan ki aawashyakta
आध्यात्मिकता - जीवन की आवश्यकता
भगवान् श्रीकृष्ण ने गीता में सर्वप्रथम आध्यात्मिकता के विषय में विस्तार से चर्चा की थी . वर्तमान जीवन की भागदौड़ , रिश्तो की आपाधापी और जीवन की अस्थिरता मानसिक विचलन का प्रमुख कारण है। आध्यात्मिकता एक ऐसा माध्यम है जिससे इन सारी समस्याओ का निवारण हो सकता है। अगर हम अध्यात्म में कच्चे है तो अनेक ऐसे श्रेष्ठ गुरु है जिनकी शरण में और मार्गदर्शन लेकर हम इस पथ पर आगे बढ़ सकते है।
adhyatmikta |
क्या है आध्यात्मिकता (what is spirituality) -
आध्यात्मिकता ज्ञान की वह शाखा है जो संसार की वास्तविकता से हमारा साक्षात्कार कराती है और ईश्वर और हमारे बीच समबन्ध स्थापित करती है। आध्यात्मिकता को किसी धर्म विशेष से जोड़कर नहीं देखा जा सकता है। अध्यात्म में समूर्ण सृष्टि का संचालन कर्ता एक ही सर्वशक्ति को माना गया है. अध्यात्म का प्रारम्भ मन की चेतना से होता है. जिसमे सर्वप्रथम मन के विकारो को दूर करना और सांसारिक या भौतिक निश्चेतना से परलौकिक चेतना की ओर बढ़ना है।
आध्यात्मिकता और मनोविज्ञान (spirituality and psychology) -
आधुनिक वैज्ञानिको ने आध्यात्मिकता को मनोविज्ञान से जोड़कर देखा है उनका मानना है की अध्यात्म एक सकारात्मक मनोविज्ञान है जो मनुष्य को निराशा के छड़ो से निकालकर आशा को ओर ले जाता है , जीवन के कठिन छड़ो में उसका विश्वास ईश्वर और उसके न्याय व्यवस्था पे बनाये रखता है जिससे वह कठिन छड़ो में भी सकारात्मकता के साथ खड़ा रहता है। उसे संसार का भौतिक ज्ञान हो जाता है। अगर मनुष्य के कठिन क्षड़ों में पूरा संसार उसके विपरीत खड़ा हो या उसका साथ छोड के चला जाये तो यही विश्वास उसकी ताकत बनता है.
अध्यात्म हमें भौतिक ज्ञान से आत्मीय ज्ञान का अनुभव कराता है जिसमे हम अपनी आत्मा से भली भांति परिचित होते है।
शेष अगले अंश में। ....
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें