मंदिर और राम
रामलला 
मंदिर  में कब बैठेंगे, वो भी ना जाने
है बारिश में चूता  त्रिपाल
सीता बोली सर पे जब छत नहीं
थे  वे भी मर्यादा पुरुषोत्तम राम
मुझसे चलता ये जग सारा , फिर भी फिरू मारा - मारा
तुम रक्षक पर रक्षा को
तुम्हारी
मंदिर - मंदिर , भक्त कहे 
अपना छत सारा आकाश 
ना बने तो मत बनवाओ 
दुखी भाव से रायजी, अब तो बस ये कह चले 
है बारिश में चूता त्रिपाल
सीता बोली सर पे जब छत नहीं
मुझसे चलता ये जग सारा , फिर भी फिरू मारा - मारा
तुम रक्षक पर रक्षा को तुम्हारी
मंदिर - मंदिर , भक्त कहे
अपना छत सारा आकाश
ना बने तो मत बनवाओ
दुखी भाव से रायजी, अब तो बस ये कह चले

 
 
 
 
 
 
 
 
 
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें