shaheed

शहीद 




चढ़ गए सीने पे ,जो वे
दुश्मनो के होश उड़ गए
जीत के जंग देखो कैसे ,बन गए है वे सिकंदर

आग भी बुझ जाती उनके , ह्रदय की ज्वाला को देखकर
वीरो की धरती है ये ,भगत सिंह सबके दिल के अंदर

कारगिल की चोटियों पे, गूंजती है उनकी ही कहानियाँ
किस्से कुछ उनकी वीरता के, सुनाती है बूढी नानियाँ



shaheed


गोलियों से होके  छलनी, लाल फिर भी आगे बढ़ चला
छोड़ दे कैसे उन्हें जो, माँ को उसकी नोचने है चला
बंद होती आँखों से भी ,अचूक  निशाना लगाता  वो भला
आखिरी सांस तक भी, फर्ज पूरा करता चला

माँ को गर्व ऐसे लाल पे, जिसको उसने है जना
भाई बोलो दुश्मनो की टोलिया , बतलाओ बची है कहाँ
हिमालय सी मजबूत छाती बुलंद हौंसले है यहाँ 
तिरंगे को दे सलामी बाप गर्व से है खड़ा 
बहन जिसकी बाँधी राखी , देश रक्षा के काम आई 
दुश्मनो का सीना चीरते ,शहीद हुआ उसका भाई 

गर्व ऐसे भाइयो पे, जिनकी माता भारती 
पूजा की थाल में जो, दुश्मनो के शीश लाये 
वे है जिनसे देश चलता , हम करे उनकी आरती 
ऐसे वीर सपूतो को देखकर ही , शान से तिरंगा लहराए 



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