बड़े शहरो में बहती नई पुरवाई
रिश्तो की मौलिकता के साथ ही महसूस होने वाला अपनापन, बड़े शहरो में बदली हुई परिभाषा के साथ स्वार्थ , पैसा और हित  साधने के एक माध्यम के अलावा कुछ और नहीं।  बड़े शहरो का छोटापन और छोटे शहरो का बड़प्पन   इसकी संवेदनशीलता को  बखूबी बयां करते है। 
मशीनी मानव के पास इतना समय ही कहा की वो दिल से सोच पाए। घर से ऑफिस और ऑफिस से घर की भागमभाग में निकलती जिंदगी के पास जब थोड़ा समय होता है तो वह थके हुए शरीर को राहत देने में निकल जाता है।  अगर कुछ समय  बच गया तो परिवार ,जिसमे सिर्फ बीवी और बच्चे शामिल होते है उनके हिस्से चला जाता है।
ख़ुशियों का पता अब नए - नए पिकनिक स्पॉट , मॉल , रेस्त्रां , फॉरेन ट्रिप , सिनेमा और मोबाईल ने ले लिया है। दादा - दादी और नाना - नानी की कहानियो को  छोड़िये, अब तो इनकी स्वयं की कहानी ही हर घर में मार्मिक होते जा रही है।   लाइफ इन ए मेट्रो और बॉलीवुड की अन्य फिल्मो में बड़े शहरो की सच्चाई अभी उतनी ही दर्शाई गई है जितनी तीन घंटे की फिल्मो  में दिखाई जा सकती है। असल में किस्सा उससे कही आगे बढ़ चुका है।  
रास्ते से लेकर नाश्ते की टेबल तक में ही  इंसान  का धैर्य उसके साथ नहीं रह पाता ,उसे तो बात - बात पर धैर्य खोने की आदत सी पड़ गई है। वह इतना धैर्य कहाँ रख पायेगा की बूढी  माँ जब तक अपनी व्यथा उससे कहे तब - तक वह बैठकर सुनता रहे। 
भारतीय संस्कारो की तिलांजलि(त्याग) देकर पाश्चात्य सभ्यता का दामन थामना ठीक उसी प्रकार है जैसे पिता को डैडी और माँ को मॉम में बदलना। जिस प्रकार का लाभ रोटी की जगह पिज्जा खाने से मिलता है उसी प्रकार का लाभ पाश्चात्य संस्कृति को अपनाने से मिलता है।
ना अब आप किसी से मजाक कर सकते है , ना अपने दिल की बात को बाहर कर सकते है , अगर आपने ऐसा कर दिया तो आप खुद ही मजाक बन जाएंगे।  एक शब्द है ढीठ जितनी जल्दी इसकी परिभाषा समझ कर इसे अपना ले उतनी जल्दी आशा है की आप भी इस बहने वाले नए बयार में अपनी जगह बना लेंगे। 
छोटे शहरो और गांवो ने ही आज भी भारतीय सभ्यता और संस्कृति की लौ जलाये रखी है। परन्तु वहां के मौसम में  भी पाश्चात्य सभ्यता की हवा के झोंके देखे जा सकते  है। ऊँची एड़ी की सैंडिल पर संभल कर चलती छोटी लड़कियां , बीयर की शॉप पर मॉडल लड़के ,पाउच वाली सेल्फी ,डूड और ब्रो जैसे शब्दों के साथ ही फेसबुक और व्हाट्सअप पर अपडेट होती स्टेटस को देखकर लगता है वह दिन दूर नहीं जब वीडियो कॉलिंग से ही बहन, भाई की कलाई पर राखी बांधेगी और बेटा आजकल के कथित प्रेम विवाह के बाद फेसबुक पर फोटो लगाकर माँ - बाप और दूसरे रिश्तेदारों को टैग करेगा। 

 
 
 
 
 
 
 
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