ये कैसे अच्छे दिन -
अच्छे दिन लाते लाते तुमने
ये कैसे दिन है दिखलाया
तुम को खाके मजा आया तो सबसे पकौड़े क्यों बनवाया
खुद तो घुमा देश विदेश औरमेरे इस शहर - ए - अमन में दंगा क्यूँ है भड़काया
कहने को तुम आलम - ए - वजीर
फ़कीर हमको है क्यों बनवाया
एक - दो समझ में ना आया
पांच तरह की जीएसटी लगवाया
पप्पू से लड़ते लड़ते
जनता को उल्लू क्यों बनवाया
खुद सरकार बने फिरते हो
चौकीदार कुछ समझ में ना आया
खुली तिजोरी लुटते रहे वोइल्जाम है किसपे लगवाया
राशन लेने गया फकीरा जिसको न ककहरा आता
आधार लिंक कहा से कराये कौन सी भाषा में उसे डिजिटल इंडिया समझाता
एक बार चमका था भारत एक बार बहका है भारत
अब और इसे न बहकाना
अच्छे दिन दिखला न सके तो
पोस्टर पर पैसे और ना लुटवाना
विकल्प विहीन है देश की जनता
कुछ भक्ति में लीन है
शक्ति सारी जुबान में है
सत्ता कर्महीन है
बाते बड़ी बड़ी है यहाँ
भक्तो और चमचो में मारा मारी है
इन सबसे बढ़के देखो उनकी अदाकारी है
कोई देश लूट रहा था कोई देश फूंक रहा है
जो समझा वो मौन खड़ा है
चुप रहने में होशियारी है
हुए आंदोलन बहुत यहाँ पे
सबपे सत्ता भारी है
बाबा पहने सलवार सूट
देख अचंभित नारी है
क्या सफ़ेद और क्या काला
जनता के धन को क्या बना डाला
क्या गरीब और क्या किसान
सबका बीमा करा डाला
जीते जी की बात नहीं की थी
मरने पे अच्छे दिन दिखलायेंगे
अभी तो बस शुरुआत की है
अच्छे दिन तो अब आएंगे
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