कुछ बात दिलो की
कुछ बात दिलो की पढ़ने को
ऐनक है हमने लगा डाली
पढ़ पाए न एक दिल को भी हम
दिल थे सारे खाली - खाली
भरा न उनमे भाव मगर था
न थी दया की कोई प्याली
अजब गजब थी भाषा उनकी
थी गूढ़ रहस्य की गुफा काली
विस्मित थे ये नैन देख के
छल प्रपंच की नई परिभाषा
आशा की कोई ज्योति नहीं थी
जिससे ये जग -जीवन चल पाता
रिश्तो का कोई मोल नहीं है
मुद्रा से ये तौली जाती
मातृ और पितृ भक्ति भी
पुत्रो को
धन लक्ष्मी है सिखलाती
पत्नी हुई प्रधान जग में
अब ये बतलाती
भाई से कितना बोला जाये
है विनम्र निवेदन अब तो बस ये
राखी को ना तौला जाये
कुछ राज दिलो के छिपे रहे
इनको ना ढूँढा जाये
है बची कुछ अब भी मर्यादा
घूंघट न खोला जाये
कुछ बात दिलो की पढ़ने को
ऐनक है हमने लगा डाली
पढ़ पाए न एक दिल को भी हम
दिल थे सारे खाली - खाली
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लिखता हूँ
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