ए खुदा तू ही बता
सिर झुकाऊँ तेरे दर पे तू है दयालु - दाता मेरा
जाने क्यों रूठा है मुझसे
तू परमेश्वर विधाता मेरा
क्या खता मेरी हुई है
हुई कौन सी नादानियाँ
तेरा ही सजदा हूँ करता
तेरी ही राह धरता सदा
है ह्रदय विशाल अम्बर
जिसमे सारा जग भरा
मैं हूँ एक कण के बराबर
हो जाऊं समाहित तुझमे सदा
तूं ही शक्ति तूँ ही भक्ति
हर धर्म तुझसे जुड़ा
हैं पथ अलग - अलग
पर तूँ ही हर पथ पे खड़ा
हैं अज्ञानी जग सारा ये
बाँट जो तुझको रहा
तूँ ही अल्लाह तूँ ही शम्भू
ईसा जग ने तुझको कहा
तूँ ही थल में तूँ ही नभ में
मैं भला मैं हूँ कहाँ
तुझसे निकला तुझमे समाया
और भला जाऊँ कहाँ
राख का एक कण हूँ मैं तो
ना अहम् मुझमे भरा
है तेरी लीला मैं जानू
तुझसे ही ये जग चला
चल रहा जिस राह पर जग
उस पर मानव चलते कहाँ
कर प्रकाशित राह सत्य का जिसपे सारा जग चले........
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माँ
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