maa

माँ 



मेरी हर इन्तेहाँ में माँ की दुआ काम आती है
लाख चढ़ लू सीढ़ियां कामयाबी की मगर
थकने पर मां ही आँचल फैलाती है

उम्र बढ़ती है आँख धुंधलाती है 

पर मेरे चेहरे की शिकन माँ को साफ़ नजर आती है
गम में भी उसे देखकर मैं तो हंस लेता हूँ
पर माँ ही है जो चुपके - चुपके नीर बहाती है
इसीलिए तो वो माँ कहलाती है

सब कहते है की 

माँ की ममता का कोई मोल नहीं होता 

मै कहता हूँ माँ जैसा कोई और नहीं होता


गलतियों पे जो माफ़ करे वो माँ होती है
हर जख्म को जो साफ़ करे वो माँ होती है
अपने खून से सींचे वो माँ होती है 


माँ ना इस जैसी होती है माँ ना उस जैसी होती है
माँ तो बस माँ जैसी होती है


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