the burning city

जलता शहर  - jalta shahar


ये तेरे शहर मे उठता धुंआ सा क्यो है
यहाँ हर शक्स को हुआ क्या है
बह रही है खून की नदियाँ यहाँ
जाने वो कहता खुद को खुदा कहा है

हर हाथ मे खंजर
और वो खौफनाक मंजर
दिलो को दिलो से जोड़े
ना जाने वो दुआ कहा है

ना तू हिन्दू ना में मुस्लिम
फर्क बता दे लहू मे जो
उन जालिमो का काफिला कहाँ है

सब खेल है सियासतदारो का
और उनके वफ़ादारो का
हम और तुम तो शतरंज के प्यादे है
अभी और खतरनाक उनके इरादे है

अभी तो शुरु हुआ खेल है देखो
आगे किस किस का होता मेल है देखो
गाँव से लेकर शहर तक दिलो मे पीर है देखो
कभी जाति कभी आरक्षण कभी मजहब और धर्म के चलते तीर है देखो

आज बहा लो खून है जितना चाहे
छीन लो सुकून तुम जितना
वही लहू निकलेगा एक दिन अश्क़ो से तुम्हारे
वही सुकून तुम भी चाहोगे
पर कोई ना होगा पास तुम्हारे
जब तक सियासतदारो को पहचानोगे
जब तक इस खेल को जानोगे .. जब तक इस खेल को जानोगे.

ये तेरे शहर मे उठता धुंआ सा क्यो है ..........



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