अच्छे दिन good days
मुझे याद है की सन 2014 मे आम आदमी जितना उत्साहित था उतना उत्साह अपनी लॉट्री निकलने पर भी नही होता होगा . यही उत्साह भारी वोट प्रतिशत मे बदलते हुए बीजेपी को भारतीय सत्ता के केन्द्र मे लाता है.शुरुआती एक से दो सालो मे जनता को लगा की शायद नई सरकार को कुछ करने मे कुछ समय लगे इसी करण जनता ने इन सालो मे सरकार का पूर्ण निष्ठा से साथ दिया .
चाहे वो नोट बंदी हो या जी एस टी . जनता लाइन मे मरती रही पर सरकार के प्रति उसकी निष्ठा बरकरार रही . मुझे आजतक ए नही समझ मे आया की हमारे देश का कोई नेता मंत्री विधायक या अधिकारी इस लाइन मे क्यो नही था. खैर सरकार है जाने की हमारी अर्थव्यवस्था कितनी सुधरी और सरकार की कितनी कभी कभी लगता है की यदि जी एस टी, एफ डी आइ और आधार कार्ड सही था तो इसका सबसे ज्यादा विरोध मोदी जी ने किया था जब वो विपक्ष मे थे.
दरअसल इनकी राजनीति मे क्या होता है की ए जनता को वही सुनाते है जो जनता सुनना चाहती है . ए पाकिस्तान का खुल कर विरोध करते है. पर सत्ता मिलते है अचानक से पाकिस्तान घूमते पहुच जाते है. ए गरीबो को 200-400 या जो भी हो सरकारी पेंशन या अन्य योजनाओ से पैसा खाते मे भेजते है , उन्ही खातो से न्यून्तम राशि न रखने पर पैसा काट लिया जाता है . शायद यही अच्छे दिन है.
must read -
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें