राजनीति की दिशा


राजनीति  की दिशा  raajneeti ki disha 





हमारे देश मे एक समय ऐसा था जब राजनीति समाज सेवा का एक माध्यम हुआ करती थी . परंतु आज के मौजूदा परिदृश्य मे राजनीति किस दिशा मे गंतव्य है यह सोचने का प्रश्न है , सारे राजनीतिक दल से केवल यही प्रश्न पूछना चाहिये की उनके राजनीति मे आने का वास्तविक उद्देश्य क्या था ,क्या वे केवल सत्ता प्राप्ति और लाभ के लिये राजनीति मे है या अपने मूल उद्देश्य से पृथक समाज को खंडित और यथा स्थिति बनाते हुए स्वयं जनता के धन का दुरुपयोग करने मे लगे है.

मूल प्रश्न यह  भी है की क्या राजनीतिक दल अपनी चर्चा और भाषणो मे से केवल दो बिंदुओ को निकल सकते है, ए दो बिंदु है जाति और धर्म .अगर ऐसा हो तो ए अपने वास्तविक मुद्दे विकास पर ही रहेंगे या जनता को बरगलाने के लिये विकास के इतर कोई नया मुद्दा लेकर् प्रकट होंगे .


 जरा ध्यान और तार्किकता से विचार कीजिये अगर इनके पास जाती और धर्म को छोड्कर बात करनी हो तो ए क्या कहेंगे. अगर इन्ही के भाषणो को दुबारा इन्ही को सुनाया जाये तो क्या ए कुछ कहने लायक रहेंगे यहा बात किसी एक पार्टी या दल की नही है यहा बात है की जनता का विश्वास जीतने के बाद भी जनता की उम्मीदो पर ए किस कदर पानी फेरते है और उसी जनता को उनके उज्जवल भविष्य के सपने दिखाकर् फिर से सत्ता प्राप्त करते है.


 आजकल तो विकास शब्द कहने पर इसे किसी पार्टी विशेष का विरोध या पछधर समझ लिया जाता है, पर वास्तव मे क्या आज की राजनीति मे जहां इंसान की जान सस्ती हो गई है वही जानवरो के लिये ए पार्टीया सड़क पर उतर आती है. दिल पे हाथ रखकर बताइये क्या गाय,जाती,धर्म,छेत्र और एक दूसरे पे कीचड़ उच्छाल कर ए राजनीतिक दल जनता और देश को किस दिशा मे ले जा रहे है.क्या होगा आपस मे लड़ते हुए भीड़ से भरे इस देश का भविष्य.
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कार्टून





























































































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