Political management
कभी कभी राजनीतिज्ञो की दिन दूनी रात चौगुनी होती संपत्ती को देखकर मुझे लगता है की राजनीति समाज सेवा नही एक व्यवसाय का माध्यम होती जा रही है , जहां कथनी और करनी मे जमीन आसमान का अंतर होता है , यहाँ सारा खेल आपकी अभिनय छमता पर निर्भर करता जो की आपके वोट प्रतिशत को बढाने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है , अब दूसरा महत्वपूर्ण कारक आपकी जाति होती है अगर आपकी जाति बहुसंख्यक है तो क्या कहने. हाँ शुरुआत मे या बाद मे मीडिया से खराब सम्बंध आपके लिये हितकर नही होते
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media |
इस कारण ही कुछ मीडिया समूह कभी काल सुर्खियो मे आ जाते है. मुझे आज ही मेरे एक मित्र ने बताया की मोदी जी अपना साक्षात्कार विशेष तौर पे केवल दो पत्रकारो को देते है और उनका विवादो से पुराना नाता रहा है इनमे से एक तिहाड़ जेल की सैर भी कर चुके है मैने इनके बारे मे खोज की तो मुझे इनसे सम्बंधित सारी खबरे हिन्दुस्तान टाइम्स पर ही मिल गई जो की सत्य थी . ऐसे कई उदाहरण पड़े हुए हैं , ज्यादा अंदर जाने पे आपका विश्वास इंसानियत से उठ सकता हैं .
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corporate |
उद्योग समूह भी अपने हितो की पूर्ति हेतु अलग अलग पार्टियों से जुड़ाव या अलगाव रखते है और कई तो पर्दे के पीछे से उन्हे संचालित भी करते है. किसी उत्पाद की तरह ही पार्टी और उसके नेता की ब्रांडिंग की जाती हैं इसमे आईटी पेशेवर से लेकर मौखिक प्रचारक तक की अहम भूमिका होती है. तरह तरह के नये शब्दो का जाल बुना जाता है और उन्हे सोशल मीडिया पर प्रचारित किया जाता है . ऐसे कई प्रबंधन करने होते है आज की राजनीति मे और जो उच्चतम अंक प्राप्त करता है वो विजयी होता है.
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