rahul gandhi and chanaky neeti


राहुल गाँधी और चाणक्य नीति 


rahul gandhi and chanaky neeti


चाणक्य ने कहा था की  किसी विदेशी महिला की कोख से उत्पन्न संतान उस देश का हित  कभी नहीं सोच सकती । 

राहुल गाँधी कांग्रेस का वो चेहरा है जिसे राजनीति में नहीं होना चाहिए था। परन्तु वंशवाद और गाँधी परिवार के सदस्य होने के नाते वह स्वाभाविक तौर पर पार्टी की कमान सँभालने के योग्य है। हालांकि पार्टी में योग्य नेताओ की कमी बिलकुल भी नहीं है , परन्तु उनके पास  गाँधी परिवार का जन्म प्रमाणपत्र नहीं है। इस कारण वे सिर्फ परिवार से वफादारी दिखाकर दूध के ऊपर की मलाई खाने में ही मगन है। 

एक कल्पना आप भी कीजिये की यदि अमेरिका जैसे देश की कमान वहां पर बहु बनी आपकी माँ के पास आ जाये तो वे क्या करेंगी।  क्या वे पूर्ण रूप से उस देश  की प्रगति के लिए कार्य कर पाएंगी या फिर अपने मूल देश के उद्देश्यों की पूर्ति का साधन बनेंगी।  क्या वे अमेरिका जैसे देश की जमीनी हकीकत समझ पाएंगी , जबकि वे जन्म से लेकर युवावस्था तक भारत की संस्कृति और परिवेश में पली - बढ़ी होंगी । इन सबके बाद भी सम्भावनाओ से इंकार नहीं किया जा सकता की वे अमेरिका जैसे देश को आगे बढ़ाने का काम करती यदि उनकी नियत, धर्म , वहाँ के परिवार की कार्यशैली और जन्म से मिलने वाले संस्कार उत्तम कोटि के होते , और उनका मूल देश भारत होता ना कि इटली जैसा वह  देश जिसके नाविक तक भारतीय मछुआरों की बिना वजह हत्या कर देते है। 

राहुल गांधी  इस तथ्य को नकार नहीं सकते की वे पूर्ण रूप से भारतीय नस्ल के नहीं  है। उनका जुड़ाव आज भी इटली से है ,बोफोर्स के क्वात्रोची  से लेकर वाड्रा  तक उनके विदेशी और धार्मिक पक्ष को मजबूती से बयां करते है । क्वात्रोची की प्रधानमंत्री आवास से लेकर कार्यालय तक बेरोकटोक आवाजाही किसी से छिपी नहीं थी ।  उसी प्रकार राबर्ट वाड्रा  का बिना किसी पद के  सिर्फ  परिवार के बूते वीवीआईपी  बनना भी  कांग्रेस सरकार में  एक आम बात थी । 

फिलहाल राहुल गाँधी अपने गोत्र से लेकर उपनाम तक के सन्दर्भ में सुर्खियों में रहने वाले है।  इतिहास सिर्फ पढ़ा जा सकता है उसे बदला नहीं जा सकता ,और नाही उसे झुठलाया जा सकता है।  खुद को नाना के गोत्र का बताने वाले राहुल गाँधी यह भूल जाते है की यदि गोत्र माँ के पक्ष का लिया जाता तो उनकी माँ को सर्वप्रथम हिन्दू धर्म स्वीकार करना पड़ता।  यदि दादा के पक्ष का लिया जाता तो पारसियों का कोई गोत्र नहीं होता। 

यहाँ इन सारे तथ्यों की चर्चा आवश्यक इसलिए है की भारतीय इतिहास के सबसे ज्ञानी और विद्वान पुरुष चाणक्य की उस उक्ति को झूठलान जिसमे उन्होंने कहा था की -


"विदेशी माँ की कोख से उत्पन्न संतान कभी इस देश का भला नहीं सोच सकती  "

इस देश को  रसातल में पहुंचा सकता है और इसके देशवासियो को भिखारी। 



Princes and country


शहजादा और देश 


  Princes and country


वंशवाद की बेली में 
एक फूल खिला है, हवेली में 
बेला , गुलाब,गुड़हल  और गेंदा 
विलक्षण फूल, नहीं इन जैसा 

मात  करे हर पल रखवाली 
हो ना पूत ,कही मवाली 
पाणी को ग्रहण करे ना 
अधेड़ उम्र का ,बालक सयाना 

राजतिलक को चिंतित माता 
बुझे , इसको कुछ नहीं आता 
जनता के हास्य का साधन

माने खुद को सच्चा बाभन  


चाटुकारो की कथा का नायक 
राजनीति के यह नहीं लायक 
चले जब गुजरात की  आंधी 

संभल ना पावे नकली गांधी 


देशहित में इसे नकारो 
स्वदेशी से देश संवारो 
भूल हुई गर यदि तुमसे 
लूटेगा देश  , एक बार फिरसे 



preperation of 2019


2019 की तैयारी (व्यंग )



2019  में होने वाले उल्लूसभा  की तैयारी जोरो से शुरू हो चुकी है।  हर तरफ कलियुग के पुण्यात्माओं द्वारा प्रवचनों की बाढ़ आई हुई है।  अभी कल ही एक थो महाराज टीवी पर अपनी पार्टी की मालकिन को भला बुरा कहने पर विरोधी प्रवक्ता का टेटुआ दबा रहे थे। एंकर से लेकर कैमरा मैन तक सब उनको पकड़ने में धराशायी हो गए  बड़ी मुश्किल से उनकी (प्रवक्ता ) जान बची।  लेकिन वो(प्रवक्ता ) भी अपनी आदत से मजबूर थे जाते जाते चिकोटी काट के चले गए।


टीवी पर देखा की एक जगह  एक प्रत्याशी जनता को लुभाने के लिए जादू का खेल दिखा रहे थे।  लेकिन इसमें नया क्या था आज कागज से कबूतर बना रहे है और पहले भी कागज पर सड़के , नहर , अस्पताल और स्कूल बनवाया करते थे। फिर जैसे कबूतर को गायब कर देते वैसे ही ये सब भी गायब हो जाते।

इधर विपक्ष द्वारा सत्ता पक्ष पर तमाम आरोप प्रत्यारोप लगाने का दौर जारी है। सफ़ेद कुर्ता वाला बालक भी हाथ में हवाई जहाज लिए उड़ने की कोशिश में लगा हुआ है। इसी उड़ान के चक्कर में कई बार नाक के बल गिर भी चुका है।  बड़े साइज का पैजामा और कुर्ता होने की वजह से कुर्ता हाथ की उंगलियों को भी ढँक लेता है जिस कारण उसे बार - बार खींचकर वापस लाना पड़ता है।

राजस्थान , और मध्यप्रदेश में मीडिया द्वारा प्रत्याशियों को कौन बनेगा मुख्यमंत्री का खेल खिलाया जा रहा है , जिसे की 2019 के उल्लू सभा का सेमीफाइनल माना जा रहा है। इसी बहाने इन प्रदेशो के छोटे जिले भी राष्ट्रिय  मीडिया में छाए हुए है । कल तक जैसे चैनलों के एंकर ,आजकल ,पत्रकारिता के अलावा सब कुछ करते देखे जा सकते है ।  मजा तब और बढ़ जाता है जब इन चैनलों पर होने वाली बहस में भैंस , बकरी से लेकर सब कुछ हो जाता है।

वैसे अभी दूर - दूर तक 2014 के चुनावों की तरह कहीं से भी गोला फेंकने की खबर नहीं आई है , आम आदमी भी ख़ास बनने के बाद बस धक्कामुक्की करने में लगा हुआ है हालाँकि इसी चक्कर में उसे मिर्च भी लग चुकी है । गरीब जनता बस अमीर दिल से तमाशा देखे जा रही है।



mandir and ram



मंदिर और राम 



mandir and ram

रामलला  मंदिर  में कब बैठेंगे, वो भी ना जाने
पूछ रहे है हम से अब वे 
बोलो किसको हितैषी माने

है बारिश में चूता  त्रिपाल
देखके रोये है महाकाल
लक्ष्मण दुखी देख भाई का हाल
बीत गए ना जाने कितने साल  

सीता बोली सर पे जब छत नहीं
जीता लंका पर कौनो गत के नहीं
बोलो भरी गर्मी में क्या ,लू  को सह  पाओगे
तब भटके थे वन - वन  में इधर - उधर
इस कलियुग में भी क्या, अच्छे दिन ना दिखलाओगे

थे  वे भी मर्यादा पुरुषोत्तम राम
बोले बात नहीं ये आम
रावण के दस मुख थे बाहर
अंदर यहाँ सबके लालच के जाम
कुछ  धैर्य  धरो  देखो इस जग को
अभी कितना मुझे सतायेंगे
पूछो तो कहते है अब  ये , रामलला हम आएंगे

मुझसे चलता ये जग सारा , फिर भी फिरू मारा - मारा
तकदीर ऐसी खुद ही  लिखवाई है
ठंडी शुरू हुई सीते  ,देखो घर में कहीं रजाई है
ब्रम्हा जी तो बोल रहे थे , कलियुग में प्रभु बस पत्थर की मूरत है
अयोध्या को  राम की नहीं, राजनीति की जरुरत है


तुम रक्षक पर रक्षा को तुम्हारी
पूरी मानव की फौज खड़ी
जय - जय - जय बजरंग बलि
अब ना तोड़ोगे दुश्मन की नली
लंका नहीं जो आग लगा दो
गोवर्धन को तुम हिला दो
कलियुग के सब रावण सारे 
अपनी पूंछ बचाओ प्यारे 

मंदिर - मंदिर , भक्त कहे 
मन के मंदिर में बस छल रहे 
है प्रपंच ये बड़ा निराला 
मंदिर बनवाने चले है आला 
खुद राजा खुद ही फरियादी 
हँसे भगवन, हुए अब आदि 

अपना छत सारा आकाश 
सरयु  से बुझती अब प्यास 
मंदिर की अब  किनसे  आस 
मंदिर  जब  सत्ता की साँस 

ना बने तो मत बनवाओ 
नाम पे मेरे  मत रबड़ी  खावो 
है आना तुमको मेरे पास  
पूछूंगा तुमसे, क्यों की इतनी बकवास 

दुखी भाव से रायजी, अब तो बस ये कह चले 
ना हो हिंसा उनके नाम पे , मर्यादा में ये जग चले



New winding flowing in big cities

बड़े शहरो में बहती नई पुरवाई 


 New winding flowing in big cities


रिश्तो की मौलिकता के साथ ही महसूस होने वाला अपनापन, बड़े शहरो में बदली हुई परिभाषा के साथ स्वार्थ , पैसा और हित  साधने के एक माध्यम के अलावा कुछ और नहीं।  बड़े शहरो का छोटापन और छोटे शहरो का बड़प्पन   इसकी संवेदनशीलता को  बखूबी बयां करते है। 

मशीनी मानव के पास इतना समय ही कहा की वो दिल से सोच पाए। घर से ऑफिस और ऑफिस से घर की भागमभाग में निकलती जिंदगी के पास जब थोड़ा समय होता है तो वह थके हुए शरीर को राहत देने में निकल जाता है।  अगर कुछ समय  बच गया तो परिवार ,जिसमे सिर्फ बीवी और बच्चे शामिल होते है उनके हिस्से चला जाता है।

ख़ुशियों का पता अब नए - नए पिकनिक स्पॉट , मॉल , रेस्त्रां , फॉरेन ट्रिप , सिनेमा और मोबाईल ने ले लिया है। दादा - दादी और नाना - नानी की कहानियो को  छोड़िये, अब तो इनकी स्वयं की कहानी ही हर घर में मार्मिक होते जा रही है।   लाइफ इन ए मेट्रो और बॉलीवुड की अन्य फिल्मो में बड़े शहरो की सच्चाई अभी उतनी ही दर्शाई गई है जितनी तीन घंटे की फिल्मो  में दिखाई जा सकती है। असल में किस्सा उससे कही आगे बढ़ चुका है।  

रास्ते से लेकर नाश्ते की टेबल तक में ही  इंसान  का धैर्य उसके साथ नहीं रह पाता ,उसे तो बात - बात पर धैर्य खोने की आदत सी पड़ गई है। वह इतना धैर्य कहाँ रख पायेगा की बूढी  माँ जब तक अपनी व्यथा उससे कहे तब - तक वह बैठकर सुनता रहे। 

भारतीय संस्कारो की तिलांजलि(त्याग)  देकर पाश्चात्य सभ्यता का दामन थामना ठीक उसी प्रकार है जैसे पिता को डैडी और माँ को मॉम में बदलना। जिस प्रकार का लाभ  रोटी की जगह पिज्जा खाने से मिलता है उसी प्रकार का लाभ पाश्चात्य संस्कृति को अपनाने से मिलता है। 


ना अब आप किसी से मजाक कर सकते है , ना अपने दिल की बात को बाहर कर सकते है , अगर आपने ऐसा कर दिया तो आप खुद ही मजाक बन जाएंगे।  एक शब्द है ढीठ जितनी जल्दी इसकी परिभाषा समझ कर इसे अपना ले उतनी जल्दी आशा है की आप भी इस बहने वाले नए बयार में अपनी जगह बना लेंगे। 

छोटे शहरो और गांवो ने ही आज भी भारतीय सभ्यता और संस्कृति की लौ जलाये रखी है। परन्तु वहां के मौसम में  भी पाश्चात्य सभ्यता की हवा के झोंके देखे जा सकते  है। ऊँची एड़ी की सैंडिल पर संभल कर चलती छोटी लड़कियां , बीयर की शॉप पर मॉडल लड़के ,पाउच वाली सेल्फी ,डूड और ब्रो जैसे शब्दों के साथ ही फेसबुक और व्हाट्सअप पर अपडेट होती स्टेटस को देखकर लगता है वह दिन दूर नहीं जब वीडियो कॉलिंग से ही बहन, भाई की कलाई पर राखी बांधेगी और बेटा आजकल के कथित प्रेम विवाह के बाद फेसबुक पर फोटो लगाकर माँ - बाप और दूसरे रिश्तेदारों को टैग करेगा। 



discussion

बहस 


टीटी  - टिकट दिखाइए प्लीज। 

ऊपर की बर्थ  पर सोये हुए आदमी को जगाते हुए टीटी कहता है।  इसके साथ ही अन्य लोग बिना कहे ही अपने - अपने टिकटों को ऐसे ढूंढते है जैसे दो हजार की गड्डी छिपाकर रखी हो। 

गुवाहाटी से जम्मू जाने वाली ट्रेन में आज भीड़ कुछ ज्यादा ही थी।  कारण छठ की छुट्टियों के बाद लोगो की वापसी का सिलसिला जारी था। 

ट्रेन के अंदर चर्चाओ का बाजार राजनीति के प्रोडक्ट पर कुछ ज्यादा ही गर्म हो चुका था।  नीचे की सीट पर बैठे चार सज्जन अपने - अपने विचारो के साथ जंग जीतने की पूरी कोशिश कर रहे थे। 

मूंछ वाले एक भाई साहब देश में एक बार फिर वर्तमान सरकार चाहते थे  जबकि उनके सामने बैठे सज्जन जो की खैनी ठोकने के साथ ही चर्चा में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे थे सरकार के  नोटबंदी  वाले फैसले से काफी दुखी थे और चाहते थे की इस बार विपक्षी दल की सरकार  बने।  हालांकि उनकी खैनी से दिक्कत तो सबको थी लेकिन विषय की महत्ता को देखते हुए  सब अनदेखा कर रहे थे। 

मूंछ वाले भाई साहब  - देखिये मैं आपसे कह देता हूँ  वर्तमान सरकार से ईमानदार सरकार आज तक देश में नहीं आई है। 

दूसरा व्यक्ति - ऐसा ना कहिये सरकार अपने किये कई वादों में असफल भी रही है। 

तीसरा -  आप ही बताइये इतने बड़े मुल्क की समस्या क्या कुछ सालो में हल की जा सकती है। कम से कम सरकार सही राह पर तो चल रही है पूर्वर्ती सरकारों की तरह देश को लूटा तो नहीं जा रहा है । 

खैनी वाले भाई साहब - 'ऐसा ना कहे ' सरकार जब सत्ता से हटती है तब उनकी पोल खुलती है।  बैंको में लाइन लगवा दिया , कई लोगो के ब्लड प्रेशर बढ़ गए और कई लोग ऊपर की ओर  रास्ता नाप लिए। 

मूंछ वाले - अरे तो जिनमे सामर्थ्य नहीं थी वे फिर लाइनों में लगे ही क्यों ?  उसके बाद के चुनावों में फिर जनता ने सरकार का समर्थन क्यों किया ? सब विपक्ष की चाल है वह सत्ता से ज्यादा दूरी बनाकर नहीं रह सकता। उसे बिना घोटालो के घोटाला दिखता है। 

दूसरा व्यक्ति  - परन्तु आजादी के बाद से हुआ विकास आपको नहीं दिखता।  कम्प्यूटर से लेकर शिक्षा संस्थान तक सब पूर्वर्ती सरकार की ही  तो देन है। 

मूंछ वाले भाई साहब   -  हां दिखता है , जातियों में जाति इतने सालो से बढ़ती गई वो दिखता है , अन्य देश कहा से कहा पहुँच गए और हम अभी प्राइमरी की पाठशाला तक नहीं पास कर सके। आईआईटी बने लेकिन उच्च कोटि के मानव जो बना सके ऐसे संस्थान क्यों नहीं बनाई आपकी सरकारों ने । गरीब तब भी थे गरीब अब भी है  शोषित तब भी थे शोषित  अब भी  है । 

कुछ देर सन्नाटे के बाद

खैनी वाले भाई साहब  -  सही कहा आपने भाई साहब  लड़ते तो हम है आपस में , वे तो परदे के पीछे हम पे हँसते है।  लाइन में तो हम लगते है , भरी गर्मी में पूरे  - पूरे  दिन बिजली गुल होने का दंश तो हमने झेला है। सब्जी महँगी हुई तो बाजार पैदल ही चल दिए , पेट्रोल महंगा हुआ तो ऑफिस बस से जाने लगे , कर्फ्यू लगा तो घरो में कैद हो गए  , सीमा पर हमने अपने बेटो की कुर्बानी दी , दंगो में हमारे भाई मारे गए। फिर भी हमे समझ नहीं आई की सब सत्ता का खेल है। 

दूसरा व्यक्ति - उनकी कोठियों की कीमते बढ़ते गई , हमारी ही जमीने हमसे ले ली गई , वे कहते है मुआवजा तो अच्छा दे रहे है , अब आप ही बताइये कौन अपनी माँ को बेचकर मुआवजा चाहेगा। 
बात बात पर कहते है की पकिस्तान को करारा जवाब देंगे।  कब देंगे ?, और इनके जवाब होते कैसे है जो नापाक को समझ में नहीं आता।  पूछिए उस माँ से जिसने अपने बुढ़ापे की लाठी खोई है , पूछिए उस लड़की से जिसका सुहाग चंद दिनों में ही उजड़ गया। कहते है करारा जवाब देंगे  ..... ...... .... ..  

ट्रेन पूरे रफ़्तार में थी और उसके अंदर चलने वाली बहस भी। 




  

shaheed

शहीद 




चढ़ गए सीने पे ,जो वे
दुश्मनो के होश उड़ गए
जीत के जंग देखो कैसे ,बन गए है वे सिकंदर

आग भी बुझ जाती उनके , ह्रदय की ज्वाला को देखकर
वीरो की धरती है ये ,भगत सिंह सबके दिल के अंदर

कारगिल की चोटियों पे, गूंजती है उनकी ही कहानियाँ
किस्से कुछ उनकी वीरता के, सुनाती है बूढी नानियाँ



shaheed


गोलियों से होके  छलनी, लाल फिर भी आगे बढ़ चला
छोड़ दे कैसे उन्हें जो, माँ को उसकी नोचने है चला
बंद होती आँखों से भी ,अचूक  निशाना लगाता  वो भला
आखिरी सांस तक भी, फर्ज पूरा करता चला

माँ को गर्व ऐसे लाल पे, जिसको उसने है जना
भाई बोलो दुश्मनो की टोलिया , बतलाओ बची है कहाँ
हिमालय सी मजबूत छाती बुलंद हौंसले है यहाँ 
तिरंगे को दे सलामी बाप गर्व से है खड़ा 
बहन जिसकी बाँधी राखी , देश रक्षा के काम आई 
दुश्मनो का सीना चीरते ,शहीद हुआ उसका भाई 

गर्व ऐसे भाइयो पे, जिनकी माता भारती 
पूजा की थाल में जो, दुश्मनो के शीश लाये 
वे है जिनसे देश चलता , हम करे उनकी आरती 
ऐसे वीर सपूतो को देखकर ही , शान से तिरंगा लहराए 



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