congress family and country

कांग्रेस, परिवारवाद और देश


congress family and country


देश की सबसे बड़ी राष्‍ट्रीय पार्टीयो मे से एक कांग्रेस आज एक बार फिर अपने बुरे दौर से गुजर रही है . कांग्रेस पार्टी और उसके आलाकमान को आवश्यकता है की एक बार फिर से अपनी सम्पूर्ण राजनीतिक गतिविधियो की निस्पक्ष रूप से समीक्षा करे और कुछ बेहतरीन चेहरो को महत्वपूर्ण जिम्मेदारिया देकर आगे करे .
कांग्रेस की सबसे बड़ी समस्या यह है की वह एक परिवार विशेष तक सिमट कर रह गई है और अपने राजनीतिक स्वार्थ हेतु पार्टी मे किसी के अंदर इतनी हिमाकत नही है की वह इस बात को स्वीकार करे और परिवार का बर्चस्व पार्टी से समाप्त करे . एक अच्छी सरकार के साथ एक मजबूत विपक्ष का होना भी आवश्यक है जिससे सरकार से संसद से लेकर सड़क तक मजबूती से सवाल किया जा सके . परंतु कहते है न सत्ता का नशा ऐसा है जिसके आगे सारे नशे फेल हो जाते है . वैसा ही नशा विदेश से आई एक महिला के अंदर भी समाहित हो चुका है जिसकी परिणिती आज कांग्रेस पार्टी भुगत रही है .
यदि आप वास्तव मे एक ऐसे देश का भला चाहते है जिसने आपको स्वीकार करते हुए देश को आगे ले जाने का मौका दिया है तो आप का फर्ज है की वास्तविकता को समझते हुए देशहित मे कार्य करे . अगर आप ऐसा नही करते तो कही ना कही आपकी महत्वाकांक्षा सामने आती है .पर्दे के पीछे से सत्ता नियंत्रण वही करते है जो जनता के प्रति जिम्मेदार नही होते और अपनी लूट खसोट की नीति को आगे बढ़ाते  है.  आज सरकार मे कुछ भी घटित होने पर जिस प्रकार मोदी को जिम्मेदार ठहराया जाता है संप्रग शासन काल मे पहला निशाना मनमोहन सिंह की चुप्पी होती थी परंतु उस चुप्पी के पीछे की वजह बताने कोई आगे नही आता था .

2014 का परिणाम उसी चुप्पी का नतीजा है जिसका खामियाजा आज भी कांग्रेस भुगत रही है . कांग्रेस आज केवल सरकार  की कमजोरी और सत्ता विरोधी लहर के सपने देख रही है जिसके बूते वो अपनी वापसी कर सके नाकी अपने नेतृत्व के भरोसे आज उसे छोटी - छोटी क्षेत्रीय पार्टीयो का पिछ्ल्गु बनने मे भी गुरेज नही है . सोनिया गाँधी ने सरकार को कठपुतली की तरह नचाया और सत्ता बरकरार रखने के लिये देश की साख से भी खिलवाड़ किया उसी का परिणाम है की जनता कांग्रेस को विपक्ष के रूप मे भी नही देखना चाहती . उपचुनावो मे भी कांग्रेस आज अपनी जमानत नही बचा पा रही है . आखिर बाप दादा के नाम पर देश कब तक कांग्रेस को ढोती रहेगी . कांग्रेस की चर्चा होने पर अक्सर ही इंदिरा से लेकर राजीव ,नेहरू का जिक्र होता है क्या भविष्य मे जनता सोनिया या राहुल का जिक्र भी उसी अनुसार करेगी .
कांग्रेस मे आज भी नेताओ की कमी नही है परंतु नेहरू काल से ही विकसित वफादारी की परम्परा आजतक कायम है . कांग्रेसी नेताओ को समझना चाहिये की वफादारी पार्टी से और देश की जनता के प्रति होनी चाहिये ना की परिवार से . आज अगर उन्होने थोड़ी सी भी वफादारी देश के प्रति दिखाई होती तो जनता एक बार उनके विषय मे अवश्य ही  चिंतन करती . परंतु आज यदि कांग्रेस अपने हर बात मे अतीत का जिक्र करना छोड़ दे और वर्तमान के मुद्दो को लेकर चले तो भ्रस्टाचार से लेकर तुष्टिकरण तक की नीति मे उसके पास कोई जवाब नही रह जाता . बांटो और राज करो की नीति से जिस पार्टी की शुरुआत हुई थी वह आज उसी को लेकर भाजपा पर इल्जाम लगाती दिख रही है आखिर कांग्रेस ने कुछ तो ऐसा जरूर किया होगा जिसकी वजह से विश्व के सबसे बड़े हिन्दू राष्ट्र का हिन्दू भी उससे कतराने लगा है . आज राहुल गाँधी मंदिरो के चक्कर लगाने पे मजबूर है आखिर किसी ना किसी प्रकार का सर्वे उनके पास जरूर आया होगा जिससे वे  ऐसा करने पर मजबूर है .


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कहते है परिंदे के लिए सारा आकाश ही उसका घर होता है  वह कही भी स्थाई तौर  पर अपना घोंसला नहीं बनाते । आज इस डाल कल उस डाल, विजय  भी इन परिंदो को देखकर सोचा करता था की कितने  खुशनसीब होते है ये ना  इन्हे  सरहदों की फ़िक्र ना  इन्हे आशियाने  की चिंता। आम समस्याये इनकी जिंदगी में होती होगी तो क्या होती होंगी ?
एक हमारी जिंदगी है जिसमे हम उन्मुक्त होकर अपनी उड़ान भी नहीं भर सकते।  आधुनिकतावाद  और धन की लालसा   हमारी जिंदगी में सिवाय तनाव के हमें दे ही क्या रही है। जिम्मेदारियों के बोझ तले इंसान इतना दब  चुका है की उसे अपने विषय में सोचने तक की फुर्सत नहीं है  सच ही कहा गया है  की  " तुम्हे गैरो से कब फुर्सत हम अपने गम से कब खाली चलो हो चुका मिलना ना तुम खाली ना हम खाली " . 

कुछ इन्ही विचारो के साथ मुंबई जैसे नए शहर में विजय का  आगमन होता है , कहते है मुंबई एक ऐसी मायानगरी है जिसमे इंसान यदि एक बार आ गया तो फिर फसते ही जाता है। विजय छोटे से शहर बरेली का रहने वाला है और घर की जिम्मेदारियों को निभाते निभाते यहाँ तक चला आया है , यहाँ उसका मौसेरा भाई किसी कंपनी में काम करता है  और उसी ने विजय को काम दिलाने के लिए इस शहर में बुलाया है , छोटे शहरो में रोजगार न होना एक गंभीर समस्या का रूप लेते जा रही है जिससे इन शहरो में रहने वाले लोग पलायन के लिए मजबूर है। अनेक प्रकार से प्रयास करने के बाद जब विजय ने देखा की इस छोटे से शहर में उसकी शिक्षा के अनुसार कोई भी कार्य नहीं है और घर पर बूढ़े माँ - बाप और दो छोटी बहनो की जिम्मेदारियां उसी के सर पर है तो उसने पलायन करना ही उचित समझा।  


घर से विदा लेते समय उसकी आँखे  भर आई थी जीवन में पहली बार उसे अपने परिवार से अलग होना पड़  रहा था  माता - पिता की आँखे भी अपने इकलौते पुत्र हेतु लगातार गंगा की धारा की तरह बहे जा रही थी। मुंबई आने के बाद विजय के मौसेरे भाई ने उसे एक कंपनी में क्लर्क की नौकरी दिलवा दी। विजय प्रतिदिन ऑफिस के समय से एक घंटा पूर्व ही पहुँच जाता था और दिन भर  पूरी निष्ठा से काम किया करता था। एक बार उसने कंपनी में होने वाले हेर - फेर को कागजो में पहचानकर उसकी शिकायत कंपनी के मालिकों से कर दी , यह हेर - फेर कंपनी के मैनेजर और बड़े बाबू की सांठ - गाँठ से कई वर्षो से किया जा रहा था।  विजय कामर्स का  छात्र था और उसने एम् काम  में रुहेलखंड विश्वविद्यालय टॉप किया था। पहले तो पता चलने पर मैनेजर और बड़े बाबू ने उसे अनेक प्रकार से डराने की कोशिशे की व उसे नौकरी से निकलने की धमकी भी दी लेकिन विजय कहा किसी से डरने वाला था उसपर तो ईमानदारी का नशा सवार था  अंत में सारे दांव विफल होते देख विजय को धन का प्रलोभन भी दिया गया परन्तु नमक हरामी विजय के खून में आ जाये मुमकिन ही नहीं।  विजय की ईमानदारी से प्रभावित होकर मालिकों ने विजय को कंपनी का मैनेजर बना दिया। 

मैनेजर बनने के फलस्वरूप विजय ने जल्द ही अपनी दोनों बहनो की शादी एक अच्छे खानदान में कर दी व माता - पिता की सेवा के लिए एक नौकर रख दिया। विजय की ईमानदारी से उसके मालिक काफी प्रसन्न रहते थे व जल्द ही विजय उनका विश्वास पात्र बन गया।   विजय आज भी उसी सादगी से रहता था जैसा की वह गांव से आया था हाँ पर बातचीत के लहजे में कुछ मुम्बइया झलक आ गई थी।  मालिक की इकलौती  बेटी अमेरिका से पढाई पूरी करने के बाद वापिस मुंबई आती है नाम था त्रिशा।  वैसे तो त्रिशा विलायत में रही थी पर सिवा ज्ञान के वह वहां से भारत में कुछ भी लेकर नहीं आई थी। अमेरिका और उसकी संस्कृति उसे बिलकुल पसंद नहीं थी  परन्तु शिक्षा के लिए वह कही भी जा सकती थी। पढाई से उसे बेहद लगाव था अक्सर उसका समय मोटी - मोटी किताबों में ही बीतता था। इंडिया आने के बाद खाली समय में वह कभी कभी ऑफिस चली जाया करती थी। विजय से उसकी मुलाकात एक मालिक और मुलाजिम के रूप में ही हुई थी , विजय लड़कियों के मामले में बहुत ही शर्मीला और संकोची था इसलिए वह जल्दी त्रिशा के सामने नहीं जाता था। लेकिन एक दिन ऐसा कुछ हुआ की विजय को पुरे दो दिन त्रिशा के साथ रहना पड़ा और उसकी जिंदगी ने एक नया रूप लेना शुरू किया। शेष अगले अंश में। .. 



choti see bat

भाजपा को  लेकर छोटी सी बात- 


 मुझे आजतक नही पता था की देश मे मोदी भक्त कितने है लेकिन अगर उनकी संख्या 18 करोड़ है तो में इस बात को लेकर आश्वस्त हूँ की 2019 मे ये 18 करोड़ देशभक्त सिर्फ अपनी श्रीमतीजी का वोट ही भाजपा को दिला दे तो सरकार एक बार फिर भक्तो की ही रहेगी . 

बोफोर्स घोटाले मे ही तोता(सीबीआई ) द्वारा लन्दन की अदालत मे कहा गया की क्वात्रोची के खिलाफ  कोई सबूत नही है कोर्ट द्वारा खाता सील किये जाने से पूर्व ही पूरा पैसा निकल लिया गया अब क्वात्रोची के बारे मे पूरी जानकारी कही भी मिल जायेगी. उस समय सीबीआइ प्रमुख जोगिन्दर सिंह ने अपने उपर पड़ने वाले दबाव का जिक्र विस्तार से अपनी किताब मे किया है क्वात्रोची को बचाने  के लिये ही राजीव गाँधी ने अपने प्रिय मित्र अमिताभ बच्चन को फंसाया था इसका भी खुलासा कुछ दिन पूर्व ही उस समय स्वीडिश जांच एजेन्सी के प्रमुख ने किया था . 2जी स्पेक्ट्रम यदि घोटाला नही रहता तो सुप्रीम कोर्ट ए राजा को इतने दिन तक जेल मे सब्जी उगाने का काम नही देती और नाही राजग के समय होने वाली  स्पेक्ट्रम आवंटन मे उतना पैसा मिलता जितना विनोद राय  द्वारा कहा गया . उस समय की जांच को कांग्रेस द्वारा ही प्रभावित किया गया और कॉल आवंटन से सम्बंधित कई फाईले आग के हवाले की गई .   


कर्नाटक चुनावो मे यदि जनता को लगता है की वहा से बीजेपी प्रत्याशी भ्रष्ट है तो उसका जवाब वो इन चुनावो मे जरूर देगी .रही बात कश्मीर समस्या की जोकि कांग्रेस के परदादा की देन  है  तो वहा जिससे भी गठबंधन हो परंतु अलगाववादियो और आतंकवादियो पर आई शामत और सेना को मिली छूट जो की पत्थरबाजो  को आज जीप की बोनट पर घुमा रही खुद ही इसकी गवाही देते है . म्यानामार  की सीमा मे हम घुस कर आतंकवादियो से बदला लेते है , त्रिपुरा मे इसी कांग्रेस ने अपनी देशभक्ति का सबूत देते हुए आजतक तिरंगा नही लहराने दिया वहा आज शान से हम इसे सलामी देते है . आज आम आदमी को 1 रुपया पर बीमा उपलब्ध है स्वास्थ के लिए सस्ती दर पर बीमा उपलब्ध है . किसानो का कर्ज़ माफ होता है  पहली बार किसी सरकार ने कम से कम उनकी आय दूनी करने के बारे मे सोची तो वर्ना कांग्रेस वाले सिर्फ जीजा जी की आय बढाने के बारे मे ही सोचते थे उन्ही जीजा जी पर भाजपा सरकार ने 18 मामलो मे सीबीआइ जांच बैठा रखी है थोड़ा तो इंतजार कीजिये नही तो जीजा जी जेल चले गये तो सासु मां की तबियत वैसे ही खराब चल रही है . इतने भी निर्दयी नही है भाजपा वाले .

jane tu ya jane na

जाने तू या जाने ना  jane tu ya jane na  -


कब  मैंने  कहा था  की मुझे तुझपे ऐतबार नहीं 
इन छोटी छोटी बातों में प्यार नहीं 
कही अफसाना न बन जाये अपनी कहानी 
कही तू मत कह देना की तुझे मुझसे प्यार नहीं 

वो भीगते हुए  तेरे दीदार की चाहत 
वो  तेरी मुस्कुराहटो  में ढूंढती  हंसी अपनी 
वो  इन्तजार  में बैचेन निगाहें 
जाने तू या जाने ना 

काश कभी जिंदगी में वो मुकाम आता 
की बताते तुझे अपने दिल का हाल 
काश की तू इतना न भाता 
की बदली न होती अपनी चाल 


काश की इन धड़कनो में तू न  समाता 
की हर तरफ तू ही नजर आता 
इश्क़ हो गया है तुझसे 
माने  तू या माने  ना 
अधूरी सी लगती है जिंदगी अब तेरे बिन 
जाने तू या जाने ना 



 

modi bhakti

भक्त उसी के होते है जिसके कार्य महान होते है




एक होते  है प्रशंसक उसके बाद अनुयायी और सबसे बड़ा भक्त , भारतीय राजनीति मे शुरुआती दोनो प्रकार के लोग सदैव रहे है परंतु भक्त आजतक कोई राजनेता नही बना सका है . यह पहली बार है जब किसी नेता के अनुयायियो को भक्त कहा जाता है उसपर से अंधभक्त .


 कहा जाता है की भक्ति से ही शक्ति है यही कारण है की इन्ही भक्तो की भक्ति से प्राप्त शक्ति के कारण मोदी भारतीय राजनीति का वो चेहरा बन घुके है जिनपर लगने वाले आरोपो से उन्हे लाभ ही होता है . दशको बाद भारत को एक ऐसा नेता मिला जिसकी ईमानदारी पे किसी को कोई शक नही यह बात अलग है की पिछली सरकार अपने द्वारा किये गये भ्रष्टाचार का खामियाजा आजतक भुगत रही है और इस सरकार पर भी बेवजह आरोप लगाने से नही चुकती . 

लेकिन वो भूल जाती है की लोगो ने सरकार को भरपूर समर्थन दिया है और राज्यो मे होने वाले चुनाव यह बताते है की लोगो की भक्ति मे किसी तरह की कमी नही आई है . शासन के दौरान सुधार हेतु कुछ ऐसे निर्णय भी लेने पड़ते है जिनसे जनता मे नाराजगी उत्पन्न होती है इसी कारण कई राजनीतिक पार्टिया देश हित को त्याग कर वोट बैंक की राजनीति हेतु ऐसे निर्णय लेने से बचती है . मोजुदा सरकार ने इसकी परवाह ना करते हुए देशहित मे ऐसे अनेक निर्णय लिये जिनका लाभ भविष्य मे मिलना तय है परंतु इन्ही सब को लेकर विपक्ष द्वारा दुष्प्रचार की नीति जारी है .

 परंतु वे भी चाहे जितना प्रयास करले भक्तो के आगे सब विफल है . अगर उनमे काबिलियत है तो केवल अपने बिना लाभ वाले अनुयायी ही बनाकर दिखा दे भक्त तो दूर की बात है. फिलहाल विपक्ष भारतीय राजनीति मे खलनायक का वो चेहरा है जो हमे फिल्म नायक मे देखने को मिलता है जिसमे सारे विरोधी मिलकर भी एक नायक का कुछ नही कर पाते क्योंकि ये पब्लिक है ये सब जानती है .

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mahfil a dilli

महफ़िल ए दिल्ली  mahfil a dilli   



आज महफ़िल में तूफ़ान मचाते है हम 
चलो जरा दिल्ली घूम कर आते है हम 

रंग बदली है और बदली है फिजा भी देखो 
चारो तरफ धुंध ही धुंध  है और हवा भी  देखो

रंग बदला है देखो  आज उस दिल्ली का 
आप के हाथ में आज कमल है  देखो    

जहां मुमताज महल लाल किले  का जिक्र हुआ करता है 
पता नहीं  उस पर भी कब धब्ब्बा  लग जाये देखो 

दिल्ली ने तो दिल्ली वालो  को ही लूट लिया 
जनता भी उसमे पिसती  है देखो 

जिन्हे वोट देकर जिताया सभी ने 
आज उन्ही को अपने बयान पर माफ़ी मांगकर रोते देखो 

क्या कहे बड़े लोगों  की बातो को  
इनसे तो सच्चा गरीब का बच्चा है देखो 

जहाँ बड़े लोग लुटाते है देश का धन अपने स्वार्थ में 
देश के लिए जो मर - मिटे
उनके अपनों के दुखों को बांटकर तो देखो 

महलो में तो सजती रही है महफिले लाखो 
कभी गरीबखानो में भी महफिले जमा कर देखो 


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राजनीति पे कविता 

modi vs apposition

मोदी बनाम विपक्ष  modi banam wipaksh - 



लगभग साठ सालो तक देश की बागडोर संभालने वाली कांग्रेस आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड रही है , कारण 2014 से चलने वाली मोदी लहर .

modi vs apposition मोदी लहर के चलने के अनेक कारणो की समीक्षा की जा सकती है लेकिन अगर कहा जाये वर्तमान मे मोदी लहर कमजोर पड़ी है तो क्या आप बता सकते है की किस पार्टी या नेता की लहर मजबूत हो रही है , क्या मोदी का मुकाबला करने की थोड़ी सी भी हैसियत उस विपक्ष मे है जिसका संवाद जनता से टूट चुका है . विपक्ष के पास जब - जब सत्ता मिली है उसने देश को सिर्फ और सिर्फ लूटने का ही कार्य किया है क्या विपक्ष की सत्ता प्राप्ति का उद्देश्य और मोदी सरकार की सत्ता प्राप्ति का उद्देश्य एक ही है  जवाब आपको भी पता है .


यही वजह है की पूरा विपक्ष एकजुट होकर भी मोदी का मुकाबला नही कर सकता क्योंकि विपक्ष की नीयत जनता अच्छी तरह जानती है . भारत जैसे विशाल देश मे लोगो की अपेक्षाये भी विशाल ही होती है और अपेक्षाओ पर निस्चित समय मे खरा उतारना  ईश्वर के बस की ही बात है. लेकिन उसकी शुरुआत करना और इस बात का भरोसा लोगो मे  होना की देश विकास की ओर अग्रसर है सरकार की किसी उपलब्धि से कम नही है . विश्‍व मंच पर भारत जिस तरह अपनी उपस्थिति दर्ज कराते जा रहा है  उसका श्रेय निश्‍चित  ही मोदी सरकार के खाते मे जायेगा .


नोटबंदी जैसे मुद्दे को विपक्ष ने भुनाने की कोशिश  की पर कभी इसका जिक्र नही किया की  कैसे जाली नोट और आतंकवाद की कमर तोड़ने मे इसने अहम योगदान निभाया  . नोटबंदी से भारत मे एक ऐसी व्यवस्था ने ज्न्म लिया जिसमे करो की चोरी करने वाले  लोगो के मन मे दहशत  पैदा हुई .


आधार कार्ड का सबसे अधिक विरोध वे लोग ही ज्यादा करते दिखे जिनकी अनेक बेनामी संपत्तियाँ उजागर होते जा रही है आजतक के भारतीय इतिहास मे ऐसा पहली बार हुआ जब किसी सरकार ने  राम रहीम जैसे ढोंगी बाबाओ को सालांखो  के पीछे पहुचाया  जिसकी कल्पना किसी अन्य सरकार मे नही की जा सकती . लालू जैसे चारा चोर को जिस सीबीआइ  ने  आजतक राहत दे रखी थी वही आज उसके सारे मामलो को अदालत से जल्द फैसला दिलवाने मे लगी हुई है . पाकिस्तान  मे मोदी की दहशत इसी से समझी  जा सकती है की आज वहा मोदी  का विरोध करके पार्टियाँ अपनी राजनीति की दुकान चलाती है .


उसी राजनीति की दुकान को चलाने के लिये आज सारा विपक्ष एकजुट है जो आज मोदी की वजह से बंद हो चुकी है . 2019 को पास आता देख विपक्ष द्वारा सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार का कार्य शुरु हो चुका है . और इसके लिये तमाम  तरह की तकनीको का भी भरपूर प्रयोग किया जा रहा है जिसमे हाल मे हुई फेसबूक और कैम्ब्रिज एनालिटिका द्वारा मिलकर  फेसबूक उपयोगकर्ताओ  की सूचनाओ  को चुराकर उनकी सौदेबाजी करना शामिल है .



वर्तमान भारतीय राजनीति मे कोई भी पार्टी  मोदी के दूर - दूर तक नही दिखाई देता विपक्ष चाहे जितना जोर लगा ले लेकिन जब तक मोदी स्वेच्छा से राजनीति का त्याग नही करते तब - तक भारतीय प्रधानमंत्री की कुर्सी की शोभा वे ही बढाएंगे .
   
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