कुछ तो लोग कहेंगे
कुछ लिखूंगा तो कुछ को कुछ होगा
ना लिखूं तो मुझको कुछ होगाकुछ तो बात है की कुछ को कुछ लिखना अच्छा नहीं लगता
कुछ सच सुनाना कुछ अपनी तस्वीर सी लगती है
कुछ का नजरे ना मिलाना कुछ सच की जंजीर सी लगती है
कभी कुछ कम लिखूं तो कुछ अधूरा सा लगता है
पूरा जो करता हूँ तो कुछको अखरता है
रिश्ते जो कुछ टूट से रहे है
अपने जो कुछ छूट से रहे है
कुछ है जो समझ से परे है
पर्दे में कुछ छेद सा दिखता है
कुछ के अंदर कुछ भेद सा दिखता है
कुछ करने का अंदाज निराला था
कुछ ना करने वालो के दिलो में कुछ काला था
कुछ हमदर्दी जो दिखा दी
हाथ मदद को कुछ जो बढ़ा दी
कुछ दर्द चेहरे पर लोगो के छलकेगें
कुछ तो लोग कहेंगे
इन्हे भी पढ़े - लिखता हूँ
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