वो
पता नहीं क्यों वो लगातार टकटकी लगाए मुझे ही देखते जा रहा था। आज पहली बार ऐसा हुआ की कोई मुझसे लगातार नजरे मिला रहा था। मैंने सोचा की उसको खूब तेज डांट दूँ फिर उसकी दुबली काया देखकर उसपर दया आ गई , ऐसा लग रहा था जैसे वह कई दिनों से भूखा है।
मुझे कॉलेज जाने में देर हो रही थी इसलिए मैंने उस पर से ध्यान हटाकर आगे बढ़ने में अपनी भलाई समझी। अभी मैं कुछ दूर ही आगे बढ़ी थी की वो फिर मेरे पीछे - पीछे आने लगा। आखिर मैं खुद को रोक नहीं पाई और पास की दूकान से ब्रेड खरीदकर कुछ ब्रेड उसके सामने रख दिए , मेरे सामने दुनिया की एक वफादार नस्ल का जीव था। जिसे उसकी वफादारी का इतना ही इनाम मिला की दुनिया के सबसे खतरनाक प्राणी इंसान ने उसके नाम को गाली बना दिया।
ब्रेड को उसके द्वारा खाने का अंदाज कुछ ऐसा था जैसे वह ब्रेड को ना खाकर बिरयानी खा रहा हो। ब्रेकफास्ट ख़त्म कर वो फिर से मेरी तरफ ऐसे देख रहा था जैसे लंच और डिनर भी उसे अभी चाहिए। मैंने भी पूरे पैकेट को उसके सामने रखने में देरी नहीं की।
कॉलेज के लिए लगातार देर हो रही थी फिर भी ना जाने क्यों मैं उसको खाता हुआ देख वही रुक गई । सम्पूर्ण खाद्य पदार्थ को अपने उदर में समाहित करने के पश्चात वो दुम हिलाता हुआ मेरी तरफ ऐसे देख रहा था जैसे कोई विद्वान पुरुष मुस्कुरा रहा हो ।
मैं फिर से एक बार कॉलेज की ओर बढ़ने लगी अचानक से कुछ असामाजिक तत्व जो की आजकल हर गली नुक्कड़ पर प्रतिष्ठित है ने अपने संस्कारो को दिखाने का प्रयास किया वैसे मैं इन सबको सहने की आदि हो चुकी थी परन्तु मेरे पीछे कोई था जिसे ये सब पसंद नहीं आया और उसने अपनी भाषा में ऐसा प्रतिकार किया की सहसा मुझे भी यकीन नहीं हुआ , अराजकतत्व अपने संस्कारो की पोटली समेत कर इतनी तेजी से रफूचक्कर हुए की मै देखती रह गई।
कुछ मिनटो की वफादारी का शायद इससे बेहतरीन उदहारण इंसान भी नहीं दे सकते । मैंने निश्चय कर लिया था की ऐसे वफादार को अपने हाथ से जाने नहीं दूंगी और मुझे इस बात का भी अहसास हो चुका था की वो भी मुझे नहीं छोड़ने वाला। मैं एक बार फिर कॉलेज के लिए बढ़ चली और वो एक बार फिर मेरे पीछे - पीछे किसी साये की तरह दुम हिलाता।