modi

मोदी 

सच कहूं तो मैं एक आम भारतीय की तरह कांग्रेस से काफी निराश हो चुका था। मैं भाजपा को भी पूरी तरह सही नहीं मानता था। तभी अरविंद केजरीवाल आये लगा बंदा कुछ हट के है। फिर उनका पहला झूठ पकड़ा जब उन्होंने अपने बच्चो की कसम खाई और कभी कांग्रेस और बीजेपी का समर्थन ना लेने की बात कही। ईश्वर उनके बच्चो को दीर्घायु प्रदान करे। आम आदमी की तरह प्लेटफार्म पर सोने वाली फोटो खूब भाई, फिर उनकी तानाशाही देखने को मिली। जिन सबूतों से वह शीला सरकार पर कार्यवाही की बात करते थे अचानक ही वह गायब हो गए। झूठ पर झूठ और कुछ हद तक उनके देश के प्रति विचार रास नहीं आये।









मुझे कांग्रेस के इरादे नेक नहीं लगते , मुझे ये समझ नहीं आता की वंशवाद की ऐसी कौन सी मज़बूरी है की राजनीति के अनुकूल ना होते हुए भी कांग्रेस भारत जैसे विशाल देश के लिए राहुल गाँधी को अपना प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी बनाने पर तुली हुई है । मनमोहन सिंह ने सोनिया गाँधी के हाथो की कठपुतली बनना क्यों मंजूर किया। हर देश विरोधी तत्वों का कांग्रेस का समर्थन स्वतः ही क्यों मिल जाता है । कांग्रेस के भ्रष्टाचार , हिन्दू और देश विरोधी रवैये से जनता घुट चुकी थी।








ऐसे में गुजरात से उठकर राष्ट्रिय पटल पर मोदी जी का उभार हुआ , जी इसलिए की अभी तक सम्मान बरकरार है क्योंकि राजनीति में व्यक्तित्व में कब बदलाव हो जाये पता नहीं । कुछ हिंदूवादी बातें हुई , मैं सांप्रदायिक नहीं हूँ परन्तु इस देश की अन्य पार्टियों द्वारा हिन्दुओ को अनदेखा किया गया। जैसे हमारे पूर्वजो ने छोटी जातियों को अनदेखा किया था। जिसका दर्द उनके सीने में अभी तक है , और हमारे संविधान ने उनकी इसी स्थिति का आंकलन करते हुए उन्हें आरक्षण प्रदान किया। हालांकि वर्तमान में मैं मैं आरक्षण दिए जाने का पक्षधर नहीं। उन्ही में से कुछ लोगो को मोदी ने सम्मान क्या दे दिया अन्य लोगो ने इसे चुनावी स्टंट बता दिया। चलिए यह काम आप भी सारे पार्टी के मुखिया राहुल से लेकर ममता तक से करवा लीजिये बात बराबर हो जाएगी ।



उनका स्वच्छता अभियान पहले मेरे लिए किसी महत्व का नहीं था मुझे लगा कुछ दिन बाद यह स्वतः ही चर्चा से गायब हो जायेगा जैसा आजतक भारत में होते आया है। परन्तु मैंने देखा धीरे - धीरे इसकी शाखाये विशाल होते जा रही है घर से लेकर बाहर तक लोगो की इस पर चर्चा जारी है , जहाँ तक मेरा मानना है कोई भी काम तब सफल है जब वह लोगो के जेहन में घर कर जाए ।


दरअसल 2014 के बाद मैंने देश के उन चेहरों को अपने असली रंग में आते देखा है जो उससे पहले फेयर एंड लवली लगा कर अपने असली चेहरे को ढके हुए थे। मैंने राहुल गांधी को सिर्फ विरोध करने के लिए विरोध करते देखा है। मैंने ममता बनर्जी को देश हित से पहले स्वयं की सत्ता बरक़रार रखने के लिए जमीर को बेचते देखा है। मैंने " भारत तेरे टुकड़े होंगे " जैसे नारे भारत की राजधानी और देश के सबसे बड़े शैक्षणिक संस्थान में सुने है। मैंने पकिस्तान के सेना प्रमुख से भारतीय मंत्री को गले मिलते देखा है । मैंने इमरान खान के लिए शांति के नोबल की पुकार सुनी है ।



मेरे लिए देश सर्वपरि है इसलिए मै " हमारा सिद्धांत है हम घर में घुस के मारेंगे " बार - बार सुनना और देखना चाहूंगा। मैं मोदी को वर्तमान राजनीति में सबसे श्रेष्ठ तब तक मानता रहूँगा जब तक वह ऐसे ही ईमानदार रहेंगे। तीन बार मुख्यमंत्री और एक बार प्रधानमंत्री रहने के बाद भी उन पर एक रूपये का भ्रष्टाचार कोई सिद्ध नहीं कर सकता । वे देशहित के मुद्दों पर खुलकर बोलते और फैसले लेते है। वे कुशल राजनीतिज्ञ और कुशल वक्ता भी है । उन्होंने विश्व में भारत का मान और भारतीयों का अभिमान दोनों ही बढ़ाया है ।


लेखक  द्वारा  क्वोरा पर दिए गए एक जवाब से साभार - 

2014 में भारत के प्रधानमंत्री बनने के बाद से नरेंद्र मोदी के प्रति आपकी धारणा कैसे बदल गई है?

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