Corona majdur aur jindagi
Issq ki dahlij
इश्क की दहलीज
भाषा नैनो की जिनको आती है
बिन चीनी की , चाय भी उन्हें भाती है
मिलते हैं ऐसे हर गलियों में
जैसे भंवरे हैं हर कलियों में
कुछ सीधे से दिखते कुछ सादे हैं
अपनी मां के वे शहजादे हैं
इश्क की एबीसीडी जो पढ़ने जाते हैं
पकड़े डैडी तो , चाय की अदरक बन जाते हैं
पूछे हैं प्रभु , मंदिरों में दर्शन किसके पाते हो
सामने हमें छोड़, बगल में देख मुस्काते हो
जो लाए थे फूल गुलाब का ,हमारे लिए
सच-सच बताना अर्पित किस , देवी को किए
मिटा देते हैं जो, प्यार के हर सबूतों को
देख पापा के, बाटा वाले जूतो को
ऐसे अजूबे ही , कटी पतंगों के लुटेरे है
बाहर से सरल ,अंदर से छुछेरे हैं
बड़ी रोचक सी इनकी कहानी है
बस यहीं से शुरू , इनकी जवानी है
आजकल
आजकल
मैं अर्नब द्वारा की जाने वाली पत्रकारिता से पूर्ण रूप से सहमत नहीं रहता हूँ , लेकिन कांग्रेस की दमनकारी नीती देखकर कहीं ना कहीं यह समझते देर नहीं लगती की अर्नब का पैर ऐसी जगह पड़ चुका है जहाँ से शिवसेना और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों की कमजोर नस दर्द से तड़फड़ा उठती है | कांग्रेस जहाँ अपने खिलाफ उठने वाली आवाज को दबाना अच्छे से जानती है वही शिवसेना का अहम् सबसे बढ़कर है |
सीबीआई अभी तक सुशांत केस को लेकर किसी निष्कर्ष तक नहीं पहुँच पाई है या फिर उसे पहुँचने नहीं दिया जा रहा है | ड्रग का एंगल ख़तम हो चुका है | अब कुछ नहीं बचा सिर्फ आत्महत्या या फिर हत्या की गुत्थी सुलझाने के अतिरिक्त |
उद्धव गलती पे गलती किये जा रहे है और भाजपा महाराष्ट्र में बढ़त ही बढ़त लिए जा रही है | अच्छी राजनीति की जा रही है भाजपा द्वारा ,सिर्फ अर्नब और कंगना के द्वारा ही महाराष्ट्र के समूचे विपक्ष को चने के झाड़ पर चढ़ा कर वहां कमल खिलाने के लिए गड्ढा खोदा जा रहा है जिसमे पूरी झाड़ का डूबना निश्चित है |
समाचार चैनल अपना - अपना हित देखते हुए आम जनता को छोड़ टीआरपी की लड़ाई लड़ रहे है , इन सब को छोड़कर यह देखना दिलचस्प होगा की बिहार में सुशासन बाबू का क्या होगा | बिना वारिस के राजनीति छोड़ना भी अच्छा नहीं लगेगा और कमजोर होती जेडीयू तथा क्षीण होते स्वास्थ्य के भरोसे राजनीती करना भी मुश्किल होगा | भाजपा मगन है तो तेजस्वी दस लाख के भरोसे निश्चिंत है | सुशील मोदी को आजीवन बिहार का उपमुख्यमंत्री घोषित किया जा चुका है हालांकि आपत्ति सबको है | वहीँ चिराग से लेकर कुशवाहा तक रात - रात भर जाग कर सपने देख रहे है तो पांडे जी केवल नाम के दबंग निकले ।
Dear diary
डियर डायरी
जब आप प्रेम मे होते है तो आप स्वयं मे नहीं होते बल्कि एक अद्भुत एहसास की घनी और कोमल चादरों की परतो से लिपटे होते है , जिसको शब्दो मे उतारना संभव नहीं | यह एक ऐसा एहसास है जिसके चरम की स्पष्ट व्याख्या देने मे बड़े से बड़े प्रेमी भी बगले झाँकने लगे | ऐसे मे मात्र इसकी अनुभूति ही निराकार प्रेम को अप्रत्यक्ष रूप से प्रकट करती है |
प्रेम मे खो जाना और प्रेम मे हो जाना ठीक वैसा ही है जैसे अथाह गहरे सागर मे मूकदर्शक बनकर स्वयं को डूबते हुए देखना | हालांकि प्रेम रूपी समंदर दुनियाँ का इकलौता ऐसा समंदर है जहां हमे पता चलता है की इसका असली मजा तो डूबने मे ही है जिसके बाद हम स्वतः तैरना सीख जाते है | ये अलग बात है की दूसरों को इस समंदर मे तैरना सीखाने का दावा करने वाले ना जाने कितने लोग गुमनाम हो गए |
प्रेम मे अक्सर ही हम साथ जीने मरने की कसमें खाते है , कई सारे ख्वाब , वादों के बगीचे मे सींचे जाते है , यहाँ तक की प्रेम मे डूबी भावनाओं की छाप को भी हम .......... प्रेम की दीवारों और प्रेम के पन्नो पर छोड़ जाते है | ऐसी ही एक भावना को प्रेम की स्याही भरकर , चाहत की कलम से डायरी के पन्ने पर लिखा था उसने , जो वर्तमान में अतीत को जिंदा रखे हुए थी ।
बेहद ही खूबसूरती के साथ , कला और वाणी के अद्भुत मेल से बनी, लैंप पोस्ट की यह अनूठी रचना , दर्शकों के हृदय पर एक अमिट छाप छोड़ जाती है ।
आखिर क्या थी वह भावना ? क्या लिखा था उस डायरी पर ? और कैसी है यह कहानी ?
ना केवल जानने के लिए बल्कि प्रेम में होने के लिए यह वीडियो अंत तक जरूर देखें ।
Purane bargad
पुराने बरगद
Wo chidiya
वो चिड़िया
वो चिड़िया फिर कब आएगी
जो कभी इस आंगन मे चहकती थी
निर्भय होकर दाना चुगकर , पास मेरे वो फुदकती थी
वो चिड़िया फिर कब आएगी
जो तिनको से घर में मेरे
अपना घरौंदा बनाती थी
साथ अपने खेलने को
खुद जैसी औरों को लाती थी
वो चिड़िया फिर कब आएगी
जिसको हम दाना देते थे
घर को मेरे बना घोंसला
मिसरी सा मीठा गाती थी
सन्नाटे के इस आलम में
रौनक का दीप जलाती थी
जाने कहां गुम हुई वो
ना जाने कौन सा भय उसे अब लगता है
क्या वो चिड़िया फिर से आएगी
जिससे ये आंगन चहकता है
korona and lockdown
कोरोना और लाकडाउन
Achha hai
ख्याल अच्छा है , की शायद ये साल अच्छा है
नाउम्मीदी के परिंदो से तो, उम्मीद का जाल अच्छा है
मन का ना हो तो टीस नहीं , ढंग का ना हो तो खीस नहीं
मिले ना मनमीत तो क्या प्रीत नहीं ? चल रहा है जो कुछ भी
फिलहाल अच्छा है
गुरुर तुम्हारा भला हमे क्यों भाये
छोड़ के भी तुमको , हम कैसे जाये
मन का वहम नहीं ये , बस दिल का जंजाल अच्छा है
मथुरा से लेकर काशी तक , मुझसे लेकर साधू तक
उलझन ही उलझन है मन में , सुलझ गया कुछ ये ख्याल अच्छा है
हुई पराजय , तो क्या गम है
लड़ा जी भरके , क्या ये भी कम है
मन का जीता , जीतूंगा एक दिन
क्योंकि ये साल अच्छा है।
You and me
का भइल जौन दिल टूट गईल
व्हाट्सएप के खेला में संघतिया छूट गईल
पइसा खातिर घूमले देश-विदेश
अ जाएके बेला पे मांई रूठ गईल
बड़का बनके बड़का भाई छूटल
जाने कौन स्नेह से भौजी रूठल
उ का बूझे लाल बुझक्कड़
कहे के धन्ना दिल से फक्कड़
भरल मिर्चा में प्यार भर के
छोड़े आइल जवार भर के
कौन कमाई सबसे बड़का
सोचींहे कइसे मॉडर्न लड़का
घर पे बाप निहारत बा
लइका रोज चरावत बा
दिन उ आपन भूल गईल
मेहरारू संग झूल गईल
ससुरारी रोज सोहावत बा
सैर सपाटा और दावत बा
सुख के इ कुल झूलौना हउंए
दुख में तहसे भागल फिरिहे
छोड़ा मरदे अब ना समझाइब
मिर्ची लगी तहके जो सच बतलाइब
तहार दुनिया तहके मुबारक
अंग्रेजी बोलब तब पटक के मारब
To be continued....
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