Achha hai

अच्छा है

ख्याल अच्छा है , की शायद ये साल अच्छा है
नाउम्मीदी के परिंदो से तो, उम्मीद का जाल अच्छा है

मन का ना हो तो टीस नहीं , ढंग का ना हो तो खीस नहीं
मिले ना मनमीत तो क्या प्रीत नहीं ? चल रहा है जो कुछ भी
फिलहाल अच्छा है


गुरुर तुम्हारा भला हमे क्यों भाये
छोड़ के भी तुमको , हम कैसे जाये
मन का वहम नहीं ये , बस दिल का जंजाल अच्छा है

मथुरा से लेकर काशी तक , मुझसे लेकर साधू तक
उलझन ही उलझन है मन में , सुलझ गया कुछ ये ख्याल अच्छा है 

हुई पराजय , तो क्या गम है
लड़ा जी भरके , क्या ये भी कम है 
मन का जीता , जीतूंगा एक दिन
क्योंकि ये साल अच्छा है।

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