fenku chachha ki holi


फेंकू चच्चा की होली fenku chachha ki holi - 



होली का त्योहार ज्यो ज्यो पास आता जा रहा है वैसे ही धीरे - धीरे माहौल भी रंगीन होते जा रहा है , हमारे गाँव के फेंकू चच्चा जबसे प्रधान बने है तबसे इस त्योहार का एक अलगे मजा हो गया है. 2014 की होली मे तो उन्होने कईयो को रंग दिया था उस साल उन्होने किसी को नही छोड़ा पप्पू तो पहचाने मे नही आ रहा था वो तो उसकी मम्मी ने बंदर छाप साबुन से रगड़ - रगड के उसे नहलाया तो जाके उसका मुखड़ा दिखाई दिया . लेकिन तबसे पप्पू गाँव मे दिखाई नही दिया.उसे दुसरे गांव में होली मनाने में ही मजा आता था. 

fenku chachha
फेंकू चच्चा 
साइकल वाले नरम चच्चा और उनका बेटवा दुन्नु  की तो साइकल तक पे चच्चा ने अपना रंग चढ़ा दिया था . चच्चा को केसरिया रंग बड़ा प्रिय है इसलिये होली के दिन चच्चा गुलाल तक केसरिया रंग का ही लाते है . चच्चा बता रहे थे की कैसे वे एक बार अमेरिका गये और वहा वे ट्रॅंप के साथ होली खेल के आये थे.तब ट्रंप  एकदम करिया हुआ करता था चच्चा ने ट्रम्प पर ऐसा सफेदा पोता की आजतक छुटबे नहीं किया इसीलिए ट्रम्प इतना गोरा है।  तब से ट्रॅंप भी होली और चच्चा दोनों  का दीवाना हो गया था . हमारे गाँव मे तो चच्चा की होली देखने दूर दूर तक से लोग आते थे .होली के दिन एक ठो बड़का गड़हा खोद के उसमे कीचड और गोबर दोनों से भर दिया जाता था और गांव के सबसे मनबढ़ लइका  को उसमे उठा के पटक  दिया जाता था  ताकि उ अपनी मनबढ़ई भुला सके। 

चच्चा होली के दिन कई तरह के पकवान भी बनवाया करते थे जिसमे गुजिया से लेकर मालपुआ तक सब होता था. और हां पकौड़ी भी। 

 हमारे गाँव मे एक नकचढ़ी बुआ भी थी जिनपे रंग लगाना साक्षात अपनी शामत बुलाना था , बुआ को हाथियो से बड़ा प्यार था इसलिये बुआ के घर मे हाथियो के कई सारे पुतले थे . बुआ के बोलने का अंदाज भी सबसे निराला था , पिछली होली मे गाँव के एक लड़के ने साइकल पे चढ के बुआ पे रंग डालने की कोशिश की थी ताकि भागने मे आसानी हो पर पर गाँव का ही पप्पू उससे आके भीड़ गया . साइकल के साथ दोनो के हाथ पांव टूटे वो अलग से . हमारे गाँव मे होली के दिन रस्सी खींच प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता है अभी पिछली ही बार चच्चा अकेले ही मोर्चा संभाले हुए थे और दूसरी तरफ दूसरे गाँव के चालू प्रसाद और विनीत कुमार थे दोनो ही चच्चा के कट्टर विरोधी थे पर चच्चा ने ऐसी रस्सी खींची की विनीत चच्चा के पास आ गिरे और चालू पीछे नाले मे तबसे चालू चच्चा को गरियाते फिर रहे है . इस बार तो चच्चा सबके निशाने पे है सबने अपनी अपनी पिचकारी चच्चा के लिये तैयार कर रखी है . बुआ तो इस बार असली हाथी पर चढ के चच्चा को रंग लगाने वाली है अब्बे से कई ठो बाल्टी तैयार कर ली है।  वैसे एक बार चच्चा हांथी की सूंड मे सुई घुसा चुके है . उसी सुई से उन्होने साइकल भी पंचर की थी और उसी से पप्पू के हाथ मे खुजली भी की थी . देखना है चच्चा इस बार कैसी होली खेलते है  और चच्चा इस बार कौन सी पिचकारी से रंग के साथ और क्या क्या फेंकते है या बाकी सब चच्चा का क्या हाल करते है इहे तो एक त्यौहार है जिसमे कपडा भी फाड़ देंगे तो कोई बुरा नहीं मानेगा इसीलिए सब कहता है -  बुरा ना मानो होली है .


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tera jana



main aur wo

तेरा जाना (कविता )-tera jana (poetry)


शाम होने लगी ज़िन्दगी की अब 
रात का दर हमें अब सताने लगा 

तन्हा  हम भी थे , तन्हा तुम भी थी - मगर
सैलाब आंसुओ का, अब रोका जाने लगा 

 तुम  कहती रही खुद से ही मगर  - 2 
गम अपना कभी हमें बताया नहीं 

सांस धीमी पड़ी नब्ज थमने लगी 
दर्द चेहरे पे तुमने दिखाया नहीं 

वक़्त कम  सा पड़ा हम थम से गए 
कुछ हमारे समझ में भी आया नहीं 

आ गई वो घडी जब तुम चल सी पड़ी 
अकेले हम थे यहाँ, और थी आंसुओ की लड़ी 
खुदा ने भी हम पे तरस खाया नहीं 
हम समझ ना सके हो रहा है ये क्या -2 
और तुमने कभी हमें समझाया नहीं 

चली गई तुम कहा ,रह गए हम यहाँ 
ये जमाना हमें रास आया नहीं 

अब तो अकेले है हम ,और है तेरा गम 
एक लम्हा नहीं जब तू याद आया नहीं 

शाम होने लगी. .. ... ....... ......... ....... 


main aur wo
लेखक 



poem on politics






राजनीति पे कविता poem on politics






जबसे आप मशहूर हुए कई अपने आप से दूर हुए

अब तो आप ही आप है दिल्ली  मे
जिक्र होता है आपका अक्सर लोगो की खिल्ली मे 



काला धन और भ्रष्टाचार अब हो गई इनकी बातें बेकार

सफेद धन है सदाबहार
लेके भागो सात समंदर पार



सेवक अपना छोड़ तिजोरी घूमे देश विदेश

जनता बोले त्राहिमाम चोरो की तो हो गई है ऐश
जनहित के नाम पे जन - जन को देखो रोना आया है
अच्छे दिनो की आस मे तूने बहुत छकाया  है.



पकौड़ा तो छनवा चुका  ,बी ए - एम ए पास को

अब क्या मुंह दिखलाउंगा ,घर पे जाके अपनी सास को



पप्पू पास नही होता राजनीति के इम्तिहान मे

इसके सिवा कोई और नही मिलता इनको सारे जहाँ  मे
खूब लूटा इनकी मम्मी ने अपने देश को
मन करता है भेज दे इनको अब तो परदेश को



विकास मिले तुम लोगो को तो कही से ढूंढ लाना

बची हो इंसानियत तुममे तो उसे
भारत मा का पता बताना



लहूलुहान ना करना इस भारत मां  को

उसके ही बच्चो के खून से
ताज रखो तुम्ही
हमे रहने दो बस सुकून से ........







raijee
लेखक 
















king modi

मोदी राजा - king modi 


बचपन मे एक खेल होता था जिसमे चार पर्चिया बनाई जाती थी , राजा ,मंत्री ,चोर और सिपाही सबसे ज्यादा नंबर राजा की पर्ची आने वाले को मिलता था . और उसे अपने मंत्री को चोर को पकड़ने का आदेश देना पड़ता था , मंत्री, चोर और सिपाही मे से अनुमान लगा कर बताता था की कौन चोर और कौन सिपाही है , गलत अनुमान पर मंत्री के नंबर काट लिये जाते थे, इस खेल ने मौजूदा भारतीय राजनीतिक हलचल जिसमे चोरो की बढ़ती संख्या के विषय मे सोचने पर मजबूर कर दिया है . चोरो की नवीन सूची मे नाम जुड़ा है नीरव मोदी का जिन्होने बॅंको मे जमा आम आदमी और सरकार के पैसो मे करीब 11000 करोड़ की सेंध लगाई है. और हमारे देश की भ्रष्ट व्यवस्था की वजह से वो ऐसा करने मे कामयाब हुआ है .


king modi
किंग मोदी 

 पंजाब नैशनल बैंक जो की पहला भारतीय बैंक होने के गौरव से सम्मानित है ने अपनी प्रतिष्ठा धूमिल की है . इससे इंकार नही किया जा सकता की बैंक की अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक इस भ्रष्टाचार मे संलिप्त थे . भ्रष्टाचार से याद आता है की इस देश के प्रधान सेवक ने कहा था की वो विदेशो मे जमा काला धन वापस लायेंगे मुझे लगता है की वो ये बताना भूल गये थे की अपने देश का सफेद धन वो विदेश लेकर भागने देंगे ,जैसे माल्या से लेकर नीरव मोदी तक बहुत ही आसानी से देश का सफेद धन लेकर विदेशो मे भाग रहे है उससे तो लगता है की आने वाले दिनो मे इसका प्रचलन काफी बढ़ने  वाला है . हमारे देश के प्रधान सेवक जिनको खुद विदेश से हद से ज्यादा  लगाव है देश की संपत्ती और धन को सुरक्षित रख पाने मे असमर्थ है . एक मुद्दा जिसने इस सरकार को सत्ता मे आने मे मदद की और जिसे सभी जनलोकपाल कहते है कही गुम सा हो गया है ये बात कही ना कही प्रधान सेवक के कथनी और करनी मे प्रश्न चिन्ह खड़ा करती है , ये ऐसा अहम मुद्दा है जिसे जोर शोर से उठाये जाने पर बीजेपी विचलित हो सकती है.

राजा कभी नही चाहेगा की एक ऐसी व्यवस्था का निर्माण हो जो उसके अनुचित कार्यो की निगरानी रखे . ललित मोदी से लेकर नीरव मोदी के जुर्म कर विदेश भागने की संस्कृति कही ना कही मोदी को ही कठघरे मे खड़ा करती है क्योंकि लोकतंत्र भाषणो से नही चलता और जवाबदेही सबको देनी पड़ती है चाहे वो मंत्री हो या राजा.

मुद्दों से कही दूर हमारे देश के राजा मोदी जी के पास अभी केवल इतना समय अवश्य है की वे सत्ता में आने के चार साल बाद भी कांग्रेस को जी भर के कोसते है इन चार सालो का उपयोग उन्होंने पूरी पृथ्वी का  भ्रमण करने में अवश्य किया है।  उनसे पूछना चाहिए की अभी तक कितना निवेश विदेशो से  भारत में आ चूका है। 
अभी भी पकिस्तान अपनी कारगुजारिओ से बाज क्यों नहीं आता। नीरव मोदी जैसे लोगो की संख्या हमारे देश में क्यों बढ़ती जा रही है। 
गंगा कितनी साफ़ हो गई क्या अब गंगा माँ आप को नहीं बुलाती ,सांसदों के गोद  लिए गांवो का क्या हाल है , कुछ नहीं तो दिल्ली के सातो सांसदों के कार्य ही दिखला दीजिये।
स्मार्ट शहरो के नाम पे जनता को इतना गदगद करने के बाद क्या उनकी सड़क तक का निर्माण हुआ है। काला धन पे सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में आपको कमिटी गठित करनी पड़ी। जिस gst का आपने 12  प्रतिशत  की दर से कांग्रेस द्वारा लागु होने पर  इतना विरोध किया उसको  28  प्रतिशत तक की दर से हिंदुस्तान की जनता पर लागू करते थोड़ी भी दया नहीं आई। जिस fdi का आपने इतना विरोध किया उसी को  इस देश के रक्षा मंत्रालय तक में लागु कर दिया।  
खैर आप सेवक नहीं राजा है राजा मोदी। जो आज भी अपने भाषणों से जनता का मन मोहते है और मन की बात करते है पर ये हिन्दुस्तान की आवाम है जो सर आखो  पे बैठाना जानती है तो अर्श से फर्श पे लाना भी। 


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