zindaagi ki saarthakta
जिंदगी की सार्थकता zindagi ki sarthakta
ज़िंदगी मे स्थिरता नही रह गई बल्कि भागमभाग मची रहती है , अंधी प्रतिस्पर्धा है जिसमे हासिल कुछ नही होता बस हम ज़िंदगी जीना भूल जाते है , चेहरो पर मुस्कुराहट की बजाय भय,तनाव,और क्रोध की झलक ज्यादा देखने को मिलती है , सेवा भाव की जगह मेवा भाव की भावना लोगो के अंदर बसने लगी है . थोड़ी बहुत नाते रिश्तेदारिया और मित्रता तो केवल स्वार्थ की वजह से चल रही है. जाता हूँ कभी शमशान तो ज़िंदगी की सारी भागदौड और असलियत आंखो के सामने दिखती है पता नही ये नजारा और ए असलियत सबको क्यो नही दिखाई देती .
यही शाम है हमारी ज़िंदगी की हम भूल जाते है की सूरज की तरह हमको भी एक दिन ढलना है हमारा जन्म सिर्फ और सिर्फ मानवता को उसके शिखर पर ले जाना है, इसी के साथ जगत मे हमारी पहचान होती है और हम निरर्थकता से सार्थकता की तरफ बढते है .
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हम भारत के लोग
हम भारत के लोग Hum Bharat Ke Log
हम भारत के लोग |
आज 26 जनवरी को सुबह सैर के दौरान घर से निकलते ही पड़ोस के लड़के ने मुझसे पूछा की क्या आज छुट्टी है मैने कहा क्यो तो उसने बोला की पापा कह रहे थे की आज स्कूल मे पढ़ाई नही होगी . वो शहर के एक बड़े स्कूल का विद्यार्थी था . थोड़ी दूर और आगे जाने पर एक सरकारी विद्यालय पड़ता है वहा धीरे धीरे विद्यार्थियो का जमावड़ा लगने लगा था वे आपस मे चर्चा कर रहे थे की आज देखो कितने लड्डू मिलते है बहुत दिन हुए मिठाई खाये आज छुट्टी भी जल्दी हो जायेगी तो मिड डे मील भी नही मिलेगा शाम तक भूखा ही रहना पड़ेगा . उनकी वार्तालाप चल ही रही थी की तभी उनके मास्टर जी आ गये . वे भी आपस मे बात कर रहे थे बताइये मिश्रा जी आजकल सरकार भी हम मास्टरो को खाली समझ कर सारे काम हमही से करवाती है .
आज छुट्टी के दिन भी हमको विद्यालय आना पड़ता है. कुछ दूर और चलने पर झोपड़पट्टी शुरु हो जाती है वहां आज सुबह से ही सफाई कार्य चालू था रंग रोशन किये जेया रहे थे जिनको खाने को नसीब नही होता उन्हे नये कपड़े और कंबल ला कर रखे हुए थे एक आदमी सारे झोपड़पट्टी वालो को कई सारे निर्देश दे रहा था पुछ्ने पर पता चला की यहा पर मंत्री जी आने वाले है . मैं रास्ते भर यही सोचता रहा की क्या इन लोगो को गणतंत्र और आज़ादी का मतलब पता है और क्या हम अपनी उस मानसिकता से निकल चुके है जो आज़ादी से पूर्व थी…. क्या ये राष्ट्रीय उत्सव ना होकर महज एक छुट्टी दिवस के रूप मे रह गये है.
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