पकौड़े से अमेरिका के राष्ट्रपति तक


पकौड़े से अमेरिका के राष्ट्रपति तक pakoude se america ke rashtrpati tak 


जबसे पकौड़ा सुर्खियो मे आया और एक बेहतर रोजगार की बात हमारे प्रधानमंत्री जी द्वारा कही गई तबसे इस व्यवसाय के प्रति मैं अपना आकर्षण रोक नही पाया . जब एक आम इंसान चाय बेचकर प्रधानमंत्री बन सकता है तो मुझे लगा पकौड़ा से शुरुआत करके तो में अमेरिका का राष्ट्रपति बन सकता हूँ .


pakouda
पकौड़ा 





 सर्वप्रथम तो मैं एक बेहतरीन नाम की तलाश करने लगा सारी रीसर्च खत्म हुई खुद के नाम से ही . लगा अभी नाम के अनुसार कुछ कमी है तो इसमे कमी कहा रहने वाली थी हमने भी इंटरनैशनल लगा लिया . तो बन गया रायजी इंटरनैशनल पकौड़ा स्टाल . अब जरूरत थी इसके लिये स्थान की तो हमने सोचा इंडिया गेट उपयुक्त रहेगा , हो सके तो हमारे प्रधानमंत्री यहा से गुजरे और कभी गोभी या प्याज के पकौड़े खाये और हमारे मां बाप की तरह ही उन्हे हमपर गर्व हो . और यही स्थान भविष्य मे चलकर रोजगार क्रांति का प्रतीक चिन्ह बने जिससे हमारे देश के युवा प्रेरणा ले सके . और हमारी प्रसिद्दि अमेरिका तक जा पहुचे और वहा के युवा पकौड़े पे चर्चा के लिये हमारे पास आने लगे और हम पूरे अमेरिका मे पकौड़े पे चर्चा करवा के एक दिन वहा के राष्ट्रपति बन जाये . फिर ,…………. फिर क्या फिर आप भी देखियेगा टेलीविजन पर हमको चाय और पकौड़े के साथ..



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COMMAN MAN

आम आदमी -गंवई  aam aadmi 

गाँव मे दो लोग आपस मे बात करते हुए. पहला -भैया ये मोदी और योगी का करत है आजकल, कुछ समझे मे नही आ रहा दूसरा – भैया समझ मे तो उनको भी नही आ रहा है देखे नही एक्के काम मे कितना स्टॅंड ले रहे है. पहला – हा भैया पर मोदी तो पूरा संसारे घूम लिये पर हम लोगो के बीच तो कब्बो नही आये , का गंगा मैया उनको अब नही बुला रही का दूसरा – नाही भैया जौने गंगा मैया के उ सॉफ करे के कहे रहे उ तो बांट जोहत जोहत थक गई अब हमनी के चुनाव के इंतजार कइल जा तब्बे उ मिलिहे पहला – भैया सुने रहे मोदी हम किसान के आय दुगना करे के सोचत हवे. पर ईहा त खाद, बिया,डीजल सबके दाम बढ गईल .


COMMAN MAN
आम आदमी 

भैया ई फैक्ट्री के मालिक आपन समान के दाम खुद तय करत है. और हम दिन रात पसीना बहा के महन्गा खाद बिया दवाई डाल के फसल उगावत है और दाम सरकार तय करत है ,भैया ई कहा के इंसाफी ह . दूसरा – भैया ई इंसाफी ना सरकार राज ह . तब्बे त किसान आजतक गरीब ह . आत्महत्या करत ह . पर सरकार के का , सरकार त बस किसान खातिर योजना बनावेली और उहे टीवी पर दिखाकर जनता के उल्लू बनावल जाता, ईहा जमीन पर कहा काम होता. पहला – ठीके कहत हॅव भैया पर अगर किसान ही ना रही त ई पूरा देश के पेट कैसे भरी , दूसरा – अरे बुरबक पहले आपन पेट के देख , देश खातिर जब ई देश के नेता ना सोचत हवे त हम गरीब कहा से सोचल जा..





raani padmawati


रानी पद्मावती 


एक इतिहास के प्रवक्ता के तौर पे जब पद्मावती का जिक्र आया तो मैं खुद को रोक नही सका . पद्मावती मलिक मुहम्मद जायसी की रचना पद्मावत का एक पात्र है, अनेक इतिहासकारो ने अपने शोध से यह प्रमाणित किया है की पद्मावत एक काल्पनिक पात्र है जिसका वास्तविकता से कोई दूर दूर तक का वास्ता नही है, लेकिन एक सच्चाई यह भी है की मलिक मुहम्मद जायसी या अन्य साहित्यो मे पद्मावती एक प्रेरणादायक चरित्र का प्रतिनिधित्व करती है जो की भारतीय संस्कृति को गोर्वान्वित करती है . सचाई यह भी है की अपनी आन के लिये राजा रतन सिंह की पत्नी तथा महल मे रहनी वाली अन्य स्त्रियो ने जौहर किया था. किसी भी विशेष व्यक्ति की उपलब्धियो से ना केवल उसका समुदाय वरन पूरा देश गौरवान्वित होता है.


RAANI PADMAWATI
रायजी 




 हर देश और समुदाय को अपने इतिहास पे गर्व होता है. चाहे वो काल्पनिक , वास्तविक या जनश्रुतीयो वाला ही क्यो न हो . चूंकि रानी पद्मावती का सम्बंध राजस्थान के राजपूत समुदाय से है इस कारण इसका असर इनपर पड़ना स्वभाविक था . परंतु विरोध भी जब ऐसे फ़िल्मकार का होता है जिसका इस तरह के विवादो से पुराना नाता रहा है तो यह प्रश्न स्वभाविक हो जाता है की फिल्म बनाने का वास्तविक उद्देश्य क्या है . विरोध का केन्द्र बिंदु क्या है और फ़िल्मकार द्वारा इतिहास और फिल्म की पटकथा मे कितना अंतर है , इन सबके पीछे लाभ किसे हो रहा है . और अहिंसावादी देश मे अपनी बात क्या हिंसा द्वारा की जा सकती है , क्या जनता की भावनाये आहत करना इतना आसन है . ऐसे कई प्रश्न है जिनका जवाब आने वाले दिनो मे मिलने की संभावनाये है . बाकी ये पब्लिक है सब जानती है . . . . . . . . .


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