vinash kale vipreet buddhi in hindi
विनाश काले विपरीत बुद्धि
आज से 200 साल पहले समाज मे बाल विवाह , सती प्रथा जैसी अनेक कुप्रथायें विद्यमान थी . राजा राम मोहन राय द्वारा इन कुप्रथाओ के खिलाफ आवाज उठाई गई . उन्हे भारी विरोध का सामना करना पड़ा ,अनेक धर्मगुरुओ ने उन्हे जान से मरवाने की धमकी तक दे डाली पर पर उन्होने वही किया जो समाज और मानवता के लिये आवश्यक था .
अँधेरा |
भारतीय समाज अपने विकास की ओर अग्रसर है . पर एक विकसित समाज ऐसी सत्ता के लिये घातक है . जिसका उद्देश्य सामाजिक कुरीतियो और स्वार्थी समूहो के सहयोग से अपनी सत्ता बनाये रखना है . संसार मे प्रत्येक वस्तु परिवर्तनशील है . जो परिवर्तित नही होता है वो अपनी महत्ता खो बैठता है. आर्यो के आगमन से लेकर अंग्रेजो की ग़ुलामी तक भारत ने अनेको उतार चढाव देखे है , हर काल एक विशेष नाम से जाना जाता है . जो उस काल की विशेषता इंगित करता है .
वर्तमान भारतीय समाज के लिये मुझे कुछ कहना होगा तो में सिर्फ यही कहूँगा "चाहे वो परिवार हो या सरकार सब स्वार्थ , धन और सत्ता के खेल मे लीन है " .
सहयोग , भाईचारा , अपनत्व , दया , क्षमा सहनशीलता जैसे गुणो का समाज से निरंतर हास् होते जा रहा है. रिश्ते शर्मशार हो रहे है . वास्तव मे पुराणो के अनुसार कलियुग की शुरुआत हो चुकी है तो इसका अंत कितना भयावह होगा कल्पना से परे है . यदि समाज विकास की ओर अग्रसर है तो ये कैसा सामाजिक विकास है जहां घर के बुजुर्गो को एक बोझ की तरह समझा जाने लगा है , जहां पड़ोस मे रहने वाले एक अजनबी है , जहां रिश्ते ही रिश्तो को कलंकित करते जा रहे है , जहा बहू बेटिया घर के बाहर से लेकर अंदर तक असुरक्षित है . जहां बेटा खुद बाप बन बैठा है . जहां पैसा ही ईमान ,धर्म और आदमी की पहचान बन चुका है और इंसान एक मशीन . और मशीन सोचा कहा करती है , कहते है की इंसान के अंदर क्रोध की भावना जितना अधिक बढ़ते जाएगी कलियुग उतना ही करीब आते जायेगा। इंसान और मशीन में फर्क करना मुश्किल हो जायेगा उसकी बुद्धि और विवेक दोनों ही निष्क्रिय हो जायेंगे।
पति और पत्नी का सम्बन्ध नाम मात्र का रह जायेगा दोनों ही एक दुसरे के विश्वास पात्र नहीं रह जायेंगे। बुद्धि ही इंसान को भ्रमित करने लगेगी और अपनी बुद्धि से नियंत्रण खो देगा.पुराणों में कुछ इसी प्रकार कलियुग की शुरुआत की बात कही गई है और कहा गया है की इसी समय भगवान् श्रीकृष्ण का कल्कि अवतार धरती पर अवतरित होगा। उसके पश्चात् सम्पूर्ण धरती जलमग्न हो जाएगी। और १५००० वर्ष की रिक्ति के बाद धरती पे सतयुग की शुरुआत होगी।
वर्तमान समय की परिस्थितियों को देखते हुए ऐसा लगता है की जिस प्रकार मनुष्य छोटी छोटी बातों में अपना आप खोते जा रहा है धन के पीछे अपनों का ही गाला काटने को आतुर है और उसकी सारी चारित्रिक विशेषताएं नष्ट होते जा रही है कलियुग की शुरुआत हो चुकी है। अब तो बस इस विनाश काल की शुरुआत में ईश्वर भक्ति में लीन होकर दुषग्रहो के प्रभाव से अपनी बुद्धि और विवेक की सलामती की दुआ ईश्वर से मांगनी चाहिए।
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