sang tere


संग तेरे 



तेरी  तन्हाईया अब भी ये सवाल करती है
मरता था तू जिस पे वही ये हाल करती है

बड़ी नाजुक थी तेरी मुहब्बत
जो दर्दे - खास  देती है
की तेरी हर एक  याद
जिस्म को सांस देती है

हुआ करते थे, हम भी कभी रांझा
की उसको हीर कहते थे
की बदल सके न जिसको हम
उसे तकदीर कहते थे

जमाना है ये बड़ा कातिल
जो दिलो को तोड़ देता है
जो चल सके न संग इसके
उसे ये छोड़ देता है

हमने देखे थे जो सपने, संग साथ जीने के
टूटे गए वो सपने  तेरे मेरे सीने के

सोचे ये दिल अब  मेरा
मेरी जान जरा सुन ले
बहुत हुआ जीना अब तो,  मौत ही चुन ले

तू धड़कन में  था  यूँ  समाया
जैसे सीप में मोती
अगर संग तेरा जो होता, तो क्या जिंदगी होती

तेरी जुल्फों में  शाम होती
तेरी आँखों में सुबह होती
कभी तू मुझमे खो जाती
कभी मैं तुझमे खो जाता। ...




लेखक की स्टोरी मिरर पर प्रकाशित एक कविता -
https://storymirror.com/read/poem/hindi/axibfjtu/sng-tere


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barsaat

बरसात 



आज बेमुरौवत बरसात हो गई
घर से निकले थे तभी रात हो गई
कदम लड़खड़ाये  अँधेरे में
संभलते ही उनसे मुलाकात हो गई
संभलना याद ना रहा
फिर से वही वारदात हो गई

भीगे सारी रात हम

इश्क़ के दरिया  में

बरसात तो अब पुरानी बात हो गई

बादलो से   चाँद आज  जमीं पर उतर आया था 
पूर्णिमा की रात तो मेरी थी 
ना जाने कितने घरो में  अँधेरा छाया था 

वो बेपनाह खूबसूरत सी इश्क़ की एक मूरत थी 
और मेरी वीरान दुनिया की  जरुरत थी 
इश्क़ में आज फरमा बहुत रहे थे हम 
पर चुपके से शरमा भी बहुत रहे थे हम 


सावन और मुहब्बत दोनों की शुरुआत हो चुकी थी 


उम्र भर साथ चलने की बात हो चुकी थी 
सोचा कही ये ख्वाब तो नहीं 
पर गालो पर सुर्ख गुलाबी मखमली अहसास हो  चुकी थी 

शायद ये निश्छल प्यार था मेरा 
और उसको समझने वाला यार था मेरा 
बारिश  ने भी आज सारी  रात जगा दिया 
और दो प्यार करने वालो की कश्ती को किनारे लगा दिया ....... 

लेखक की स्टोरी मिरर पर प्रकाशित एक कविता -
https://storymirror.com/read/poem/hindi/4kafvoxj/brsaat

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ishq me

इश्क़ में 

ishq me


तड़प ,जूनून ,दर्द ,दिल्लगी
सिर्फ इश्क़ में ही मिलेगी
 गर इश्क़ ना मिला तो तूं
और मिल गया तो दुनिया जलेगी


निकम्मा बनाता इश्क़ नहीं हैइश्क़ करने वाले होते ही निकम्मे है

इश्क़ की छुरियाँ चलती है जब दिल पर
आह तो नहीं निकलती
पर जाने क्या - क्या  निकल जाता  है

एक चेहरे के पीछे भागे हम बहुत है
सारी -  सारी  रात जागे हम बहुत  है
सोये तो पुरे दिन भर थे हम

पर उस बेवफा के लिए रोये बहुत है


इश्क़ करना तो पूरी हिफाजत के साथ
दिल को थोड़ा संभाल के पूरी इनायत के साथ
टूटे हैं दिल बहुत यहाँ
बचे है थोड़े - थोड़ी मिलावट के साथ


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इश्क़  

jhagda




झगड़ा  


प्रायः दो व्यक्तियों के बीच होने वाले आपसी तनाव और हिंसा पूर्ण गतिविधियों की वह संलिप्तता है जिसमे भाषा और व्याकरण का ध्यान नहीं रखा जाता है।  रखने को तो शारीरिक हानि  का भी ध्यान नहीं रखा जाता है परन्तु  स्वयं की नहीं बल्कि प्रतिपक्षी की। 

jhagda


झगडे का बीज प्रायः  मन मस्तिष्क के किसी कोने से जड़ो में परिवर्तित होने का प्रयास करता है , विद्वान पुरुषो द्वारा इस प्रकार के पौधो का दमन अंकुरण के समय ही ठीक उसी प्रकार कर दिया जाता है जैसे लाभकारी फसलों के बीच जमने वाले खरपतवारो का किया जाता है परन्तु जिस मन मस्तिष्क में सालो से कोई उपजाऊ फसल ना बोई गई हो वहां इस तरह की पौध जीवन की मायावी ऊर्जा में संतुलन का कार्य करती है। 

झगडे को लेकर विद्वान पुरुषो द्धारा अक्सर ही उनसे दुरी बनाये जाने की बात कही जाती है क्योंकि झगड़ा अगर एक बार गड गया तो उसे उखाड़ना इतना आसान नहीं होता और उसे उखाड़ने के चक्कर में हम अपना अमूल्य छण व्यर्थ में ही जाया कर देते है जिसका उपयोग हम स्वयं के विकास में लगा सकते थे।  यदि आप एक नन्हे पौधे है और आपके बगल में कोई दीवार खड़ा कर देता है तो भलाई उससे लड़ने में नहीं है बल्कि अपनी दिशा थोड़ी सी  बदल कर निकलने में है। समय आने पर पौधा जब विशाल पेड़ में परिवर्तित होता है तो वह दीवार स्वयं ही गिर जाती है। 

झगडे का बीज ज्यों - ज्यों  बड़ा होते जाता है उसी प्रकार वह मस्तिष्क में लगे अन्य सुकोमल पौधो (मानवीय विचारो )को हानि पहुंचाने लगता है। बीज को मस्तिष्क में रोपित होने से बचाने के लिए आवश्यक है की हम अहम् का त्याग कर दे वास्तव में झगडे के प्रधान कारणों में से अहम् का प्रथम  स्थान है। जहाँ मैं है वहां कोई और आ ही नहीं सकता और जहा मैं नहीं है वहा  प्रत्येक विचार और व्यक्ति का स्वागत है। 

NOTE - झगडे की औषधि अगर कोई है तो वह है आपकी एक मुस्कान।  





sir jhukau tere dar pe


ए  खुदा तू ही बता 

sir jhukau tere dar pe

सिर झुकाऊँ तेरे दर पे  तू है दयालु - दाता मेरा
जाने क्यों रूठा है  मुझसे

तू परमेश्वर  विधाता मेरा


 क्या खता मेरी हुई है
हुई कौन सी नादानियाँ
तेरा ही सजदा हूँ करता
तेरी ही राह धरता  सदा

है ह्रदय विशाल अम्बर
जिसमे सारा जग भरा
मैं हूँ एक कण के बराबर
हो जाऊं समाहित तुझमे सदा

तूं ही शक्ति तूँ ही भक्ति
हर धर्म तुझसे जुड़ा
हैं पथ अलग - अलग
 पर तूँ ही हर पथ पे खड़ा

हैं अज्ञानी जग सारा ये
बाँट जो तुझको रहा
तूँ ही अल्लाह तूँ ही शम्भू
ईसा जग ने तुझको कहा

तूँ ही थल में तूँ ही नभ में
मैं भला मैं  हूँ कहाँ
तुझसे निकला तुझमे समाया
और भला जाऊँ कहाँ

राख का एक कण हूँ मैं तो
ना अहम् मुझमे भरा
है तेरी लीला मैं जानू
तुझसे ही ये जग चला


चल रहा जिस राह पर जग
उस पर मानव चलते कहाँ
कर प्रकाशित राह सत्य का जिसपे सारा जग चले........



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माँ 

rahul aur pappu

राहुल और पप्पू 



आज सुबह - सुबह ही प्रिय प्रकाश राज से मुलाकात हो गई ..... बड़ी परेशान थी बेचारी जबसे उसका नैन पिचकाऊ वाला सीन प्रसिद्द हुआ है तबसे जो भी बड़ी हस्ती यह काम करती है बगल की तस्वीर में उसे भी डाल दिया जाता है। जवान की तो बात ठीक थी पर बुड्ढों के साथ कैसी तुलना।  अभी कुछ दिन पहले ही अपने देश के एक होनहार बालक देश के सबसे बड़े क्लास रूम में आँख मारते दिखे , वैसे मारा बड़ा गजब का था स्माइल के साथ , ऐसा प्रदर्शन बिना अथक प्रयास के नहीं किया जा सकता। 

rahul aur pappu


उनकी मम्मी को भी अब समझना चाहिए की हर कोई सलमान खान नहीं होता , जल्दी से एक सुन्दर सुशील  कन्या देखकर उनके हाथ पीले कर दे वर्ना  जिस तरह से वे संसद में गले मिल रहे है उसको देख के लगता है की कही घर में  ही  जमाई न लाना पड़े। बाबू ने तो खुले आम स्वीकार भी कर लिया की लोग उन्हें पप्पू भी कहते है  . वैसे बालक है बड़ा नादान। ऐसी बातो पर सबके सामने मुहर नहीं लगाना चाहिए। 

वैसे जबसे राहुल गाँधी का गले मिलने वाला प्रकरण हुआ है तबसे भाजपा के सांसद उनसे दूर रहने लगे है ,कारण वही की कोई रिश्तेदारी न हो जाये न तो राजनीति में बड़ी भारी पड़ेगी। 

" सोते हुए को जगा दिया तुमने 
   आज किसको गले लगा लिया तुमने  "

मेरी कक्षा में एक बड़ा ही  हंश्मुख लड़का था उसे हमेशा  ही  मॉनिटर बनने का शौक लगा रहता था। पर पढाई में निल बटा सन्नाटा और हरकते अजीबो गरीब होने के कारण  उसका शौक कभी हकीकत में न बदल सका.कर्मठी वह बहुत था परन्तु उसे यह कभी समझ में नहीं आया की उसके अंदर मॉनिटर बनने के एक भी गुण विद्यमान  नहीं थे और नाहीं उसने उन आवश्यक गुणों को कभी ग्रहण करने की कोशिश की।वो तो बस बाकि लोगो का मनोरंजन ही करता रह गया।  और एक बात मेरा इशारा बिलकुल भी राहुल गाँधी की तरफ नहीं है। 

मेरा मोदी जी से विनम्र निवेदन है राजनीति अपनी जगह है और प्रेम व्यवहार अपनी जगह।  आखिर है तो अपने ही देश का एक  बच्चा कृपया आप इस बालक को राजनीति के कुछ गुण ही सीखा दीजिये वर्ना कांग्रेस में बैठे बालक के चचा लोग इसे ऐसी ही उलटी सीढ़ी हरकते सीखाते रहेंगे आखिर ये कहावत इसीलिए तो बनी है की


 " मुर्ख दोस्त से तो अच्छा होशियार दुश्मन होता है"

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नरेन्द्र मोदी और राहुल गांधी




likhta hu2

लिखता हूँ -२ 


लिखता हूँ मैं थोड़ा थोड़ा पर वो बात नही आती
चाहे कुछ भी कर लो पर ए जात नही जाती

खाने को रोटी नही ना पहनने को वस्त्र है
महंगाई की मार पड़ी है बचने का ना कोई अस्त्र है
सूखे खेते से भी अब कोई फरियाद नही आती
की लिखता हूँ मैं थोड़ा थोड़ा पर वो बात नही आती

गृहस्थ जीवन पड़े है भारी
जिसमे भरे है सरकार ने अनेको दुश्वारी
कैसे चलाऊँ मैं अपनी गाड़ी
अब तो पूरी तनख्वाह भी काम नही आती
की लिखता हूँ मैं थोड़ा - थोड़ा पर वो बात नही आती

जम्मू मे दंगल हुआ बिहार मे थोड़ा मंगल हुआ
बंगाल की लड़ाई मे, सभा मे अमंगल हुआ
गोरखपुर की हार भी अब कोई सबक नही सीखलाती
जनता की तकलीफे अब कोई चिट्ठी कैसे बतलाती
लिखता हूँ मैं थोड़ा थोड़ा पर वो बात नही आती

डरी हुई नारी है देखो, बच्ची भी अब नही बच पाती   अजब तेरा संसार है विधाता क्या कोई खबर नही आती

राजा को सुध नही जनता की अब
उसे जुमलेबाजी है खूब भाती
था विपक्ष मे तो खूब मुखर था
सत्ता पाते ही हवा बदल जाती
इसीलिये लिखता हूँ मैं थोड़ा - थोड़ा पर वो बात नही आती
कभी सुकून से गुजरे अब वो रात नही आती

तू मुस्लिम है मैं हिन्दू हूँ  , मैं ही राजनीति का केन्द्र बिंदु हूँ

तेरी मेरी इस लड़ाई मे किसी एक की हार है
यही जीत हार उनकी किस्मत है चमकाती
सब समझ समझ की बात हैं मेरी समझ कितना समझाती

इसीलिये लिखता हूँ में थोड़ा थोड़ा पर वो बात नही आती
ईश्वर अल्लाह एक सारे
अलग इन्हे सिर्फ राजनीति बतलाती ..

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उफ्फ ये बेरोजगारी  - uff ye berojgari  कहते है खाली दिमाग शैतान का पर इस दिमाग में भरे क्या ? जबसे इंडिया में स्किल डिव्ल्पमें...