jane tu ya jane na

जाने तू या जाने ना  jane tu ya jane na  -


कब  मैंने  कहा था  की मुझे तुझपे ऐतबार नहीं 
इन छोटी छोटी बातों में प्यार नहीं 
कही अफसाना न बन जाये अपनी कहानी 
कही तू मत कह देना की तुझे मुझसे प्यार नहीं 

वो भीगते हुए  तेरे दीदार की चाहत 
वो  तेरी मुस्कुराहटो  में ढूंढती  हंसी अपनी 
वो  इन्तजार  में बैचेन निगाहें 
जाने तू या जाने ना 

काश कभी जिंदगी में वो मुकाम आता 
की बताते तुझे अपने दिल का हाल 
काश की तू इतना न भाता 
की बदली न होती अपनी चाल 


काश की इन धड़कनो में तू न  समाता 
की हर तरफ तू ही नजर आता 
इश्क़ हो गया है तुझसे 
माने  तू या माने  ना 
अधूरी सी लगती है जिंदगी अब तेरे बिन 
जाने तू या जाने ना 



 

modi bhakti

भक्त उसी के होते है जिसके कार्य महान होते है




एक होते  है प्रशंसक उसके बाद अनुयायी और सबसे बड़ा भक्त , भारतीय राजनीति मे शुरुआती दोनो प्रकार के लोग सदैव रहे है परंतु भक्त आजतक कोई राजनेता नही बना सका है . यह पहली बार है जब किसी नेता के अनुयायियो को भक्त कहा जाता है उसपर से अंधभक्त .


 कहा जाता है की भक्ति से ही शक्ति है यही कारण है की इन्ही भक्तो की भक्ति से प्राप्त शक्ति के कारण मोदी भारतीय राजनीति का वो चेहरा बन घुके है जिनपर लगने वाले आरोपो से उन्हे लाभ ही होता है . दशको बाद भारत को एक ऐसा नेता मिला जिसकी ईमानदारी पे किसी को कोई शक नही यह बात अलग है की पिछली सरकार अपने द्वारा किये गये भ्रष्टाचार का खामियाजा आजतक भुगत रही है और इस सरकार पर भी बेवजह आरोप लगाने से नही चुकती . 

लेकिन वो भूल जाती है की लोगो ने सरकार को भरपूर समर्थन दिया है और राज्यो मे होने वाले चुनाव यह बताते है की लोगो की भक्ति मे किसी तरह की कमी नही आई है . शासन के दौरान सुधार हेतु कुछ ऐसे निर्णय भी लेने पड़ते है जिनसे जनता मे नाराजगी उत्पन्न होती है इसी कारण कई राजनीतिक पार्टिया देश हित को त्याग कर वोट बैंक की राजनीति हेतु ऐसे निर्णय लेने से बचती है . मोजुदा सरकार ने इसकी परवाह ना करते हुए देशहित मे ऐसे अनेक निर्णय लिये जिनका लाभ भविष्य मे मिलना तय है परंतु इन्ही सब को लेकर विपक्ष द्वारा दुष्प्रचार की नीति जारी है .

 परंतु वे भी चाहे जितना प्रयास करले भक्तो के आगे सब विफल है . अगर उनमे काबिलियत है तो केवल अपने बिना लाभ वाले अनुयायी ही बनाकर दिखा दे भक्त तो दूर की बात है. फिलहाल विपक्ष भारतीय राजनीति मे खलनायक का वो चेहरा है जो हमे फिल्म नायक मे देखने को मिलता है जिसमे सारे विरोधी मिलकर भी एक नायक का कुछ नही कर पाते क्योंकि ये पब्लिक है ये सब जानती है .

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mahfil a dilli

महफ़िल ए दिल्ली  mahfil a dilli   



आज महफ़िल में तूफ़ान मचाते है हम 
चलो जरा दिल्ली घूम कर आते है हम 

रंग बदली है और बदली है फिजा भी देखो 
चारो तरफ धुंध ही धुंध  है और हवा भी  देखो

रंग बदला है देखो  आज उस दिल्ली का 
आप के हाथ में आज कमल है  देखो    

जहां मुमताज महल लाल किले  का जिक्र हुआ करता है 
पता नहीं  उस पर भी कब धब्ब्बा  लग जाये देखो 

दिल्ली ने तो दिल्ली वालो  को ही लूट लिया 
जनता भी उसमे पिसती  है देखो 

जिन्हे वोट देकर जिताया सभी ने 
आज उन्ही को अपने बयान पर माफ़ी मांगकर रोते देखो 

क्या कहे बड़े लोगों  की बातो को  
इनसे तो सच्चा गरीब का बच्चा है देखो 

जहाँ बड़े लोग लुटाते है देश का धन अपने स्वार्थ में 
देश के लिए जो मर - मिटे
उनके अपनों के दुखों को बांटकर तो देखो 

महलो में तो सजती रही है महफिले लाखो 
कभी गरीबखानो में भी महफिले जमा कर देखो 


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राजनीति पे कविता 

modi vs apposition

मोदी बनाम विपक्ष  modi banam wipaksh - 



लगभग साठ सालो तक देश की बागडोर संभालने वाली कांग्रेस आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड रही है , कारण 2014 से चलने वाली मोदी लहर .

modi vs apposition मोदी लहर के चलने के अनेक कारणो की समीक्षा की जा सकती है लेकिन अगर कहा जाये वर्तमान मे मोदी लहर कमजोर पड़ी है तो क्या आप बता सकते है की किस पार्टी या नेता की लहर मजबूत हो रही है , क्या मोदी का मुकाबला करने की थोड़ी सी भी हैसियत उस विपक्ष मे है जिसका संवाद जनता से टूट चुका है . विपक्ष के पास जब - जब सत्ता मिली है उसने देश को सिर्फ और सिर्फ लूटने का ही कार्य किया है क्या विपक्ष की सत्ता प्राप्ति का उद्देश्य और मोदी सरकार की सत्ता प्राप्ति का उद्देश्य एक ही है  जवाब आपको भी पता है .


यही वजह है की पूरा विपक्ष एकजुट होकर भी मोदी का मुकाबला नही कर सकता क्योंकि विपक्ष की नीयत जनता अच्छी तरह जानती है . भारत जैसे विशाल देश मे लोगो की अपेक्षाये भी विशाल ही होती है और अपेक्षाओ पर निस्चित समय मे खरा उतारना  ईश्वर के बस की ही बात है. लेकिन उसकी शुरुआत करना और इस बात का भरोसा लोगो मे  होना की देश विकास की ओर अग्रसर है सरकार की किसी उपलब्धि से कम नही है . विश्‍व मंच पर भारत जिस तरह अपनी उपस्थिति दर्ज कराते जा रहा है  उसका श्रेय निश्‍चित  ही मोदी सरकार के खाते मे जायेगा .


नोटबंदी जैसे मुद्दे को विपक्ष ने भुनाने की कोशिश  की पर कभी इसका जिक्र नही किया की  कैसे जाली नोट और आतंकवाद की कमर तोड़ने मे इसने अहम योगदान निभाया  . नोटबंदी से भारत मे एक ऐसी व्यवस्था ने ज्न्म लिया जिसमे करो की चोरी करने वाले  लोगो के मन मे दहशत  पैदा हुई .


आधार कार्ड का सबसे अधिक विरोध वे लोग ही ज्यादा करते दिखे जिनकी अनेक बेनामी संपत्तियाँ उजागर होते जा रही है आजतक के भारतीय इतिहास मे ऐसा पहली बार हुआ जब किसी सरकार ने  राम रहीम जैसे ढोंगी बाबाओ को सालांखो  के पीछे पहुचाया  जिसकी कल्पना किसी अन्य सरकार मे नही की जा सकती . लालू जैसे चारा चोर को जिस सीबीआइ  ने  आजतक राहत दे रखी थी वही आज उसके सारे मामलो को अदालत से जल्द फैसला दिलवाने मे लगी हुई है . पाकिस्तान  मे मोदी की दहशत इसी से समझी  जा सकती है की आज वहा मोदी  का विरोध करके पार्टियाँ अपनी राजनीति की दुकान चलाती है .


उसी राजनीति की दुकान को चलाने के लिये आज सारा विपक्ष एकजुट है जो आज मोदी की वजह से बंद हो चुकी है . 2019 को पास आता देख विपक्ष द्वारा सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार का कार्य शुरु हो चुका है . और इसके लिये तमाम  तरह की तकनीको का भी भरपूर प्रयोग किया जा रहा है जिसमे हाल मे हुई फेसबूक और कैम्ब्रिज एनालिटिका द्वारा मिलकर  फेसबूक उपयोगकर्ताओ  की सूचनाओ  को चुराकर उनकी सौदेबाजी करना शामिल है .



वर्तमान भारतीय राजनीति मे कोई भी पार्टी  मोदी के दूर - दूर तक नही दिखाई देता विपक्ष चाहे जितना जोर लगा ले लेकिन जब तक मोदी स्वेच्छा से राजनीति का त्याग नही करते तब - तक भारतीय प्रधानमंत्री की कुर्सी की शोभा वे ही बढाएंगे .
   
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